रिपोर्ट-राजकुमार
प्रयाजराज : उत्तर प्रदेश में आए दिन किसी न किसी पत्रकार का उत्पीड़न गुंडा, माफिया व प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा किया जाता है ऐसे हालात को देखकर व सुनकर यह साबित हो रहा है कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ अब खतरे के निशान पर खड़ा है, सूबे के मुखिया कई दफा पत्रकार हित में आदेश पारित कर उनके कार्यों में बाधा डालने वाले व्यक्तियों के ऊपर सख्त से सख्त कार्यवाई की बात कह रहे है, सीएम का कहना है कि चाहे गुंडा, माफिया या प्रशासनिक अधिकारी क्यों ना हो पत्रकार का उत्पीडन करने वाले सभी पर मुकदमा दर्ज हो लेकिन खबर से खुन्नस खाकर गुंडा, माफिया पत्रकार के साथ बदसलूकी व प्राणघातक हमला जैसी वारदात को अंजाम देने के साथ साथ जान से मारने की धमकी देने से बाज नही आते हैं, समय रहते जब इस बात की शिकायत पीड़ित के द्वारा स्थानीय प्रशासन से की जाती है तो उक्त मामले को स्थानीय प्रशासन गंभीरता पूर्वक न लेकर बल्कि आरोपियों से मोटी रकम लेकर आरोपियों के बचाव में उतरकर तमाम बयानबाजी करने लग जाते है जिससे आरोपियों का मनोबल सातवे आसमान पर नजर आता है और अपराध करने से वह गुरेज नही करते, जिसकी कीमत पत्रकार साथी को अपनी जान गंवाकर चुकाना पड़ता है, इसी तरह का एक नया मामला पूरामुफ्ती थाना क्षेत्र से निकलकर आ रहा है, जैगम हलीम और सुरेश सिंह नाम के एक साप्ताहिक, दैनिक हिंदी न्यूज़ पेपर के वरिष्ठ पत्रकार है, उक्त रिपोर्टरों के द्वारा किसी संबंध में खबर चलाए जाने के बाद खबर से खुन्नस खाकर एक दबंग व्यक्ति पत्रकार को जान से मारने की धमकी बार बार दे रहा है जिसकी धमकियों से पत्रकार काफी डर सहम गया है अपनी जान का खतरा महसूस करते हुए पत्रकार ने थाना चरवा और पूरामुफ्ती में लिखित शिकायत देकर उक्त आरोपी के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर उचित कार्यवाही की मांग की है पूरामुफ्ती पुलिस ने तो संबंधित धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर लिया है, लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी उक्त आरोपी के खिलाफ चरवा पुलिस ने मुकदमा दर्ज नही किया है, वही पीड़ित पत्रकार का आरोप है कि चरवा थानेदार आरोपी से सांठगांठ बनाकर तहरीर बदलवाकर मुकदमा लिखने की बात कह रहे हैं जिसका पूरा वीडियो पत्रकारों के पास मौजूद है वह कतई पत्रकार द्वारा दी गई तहरीर पर मुकदमा लिखने को तैयार नहीं है, उनका कहना है कि जो धमकी का वीडियो है केवल उसे ही दर्ज किया जायेगा, दी गई तहरीर को बदल कर ले आओ तब मुकदमा लिखा जाएगा, जिससे उक्त आरोपी का मनोबल काफी बढ़ा हुआ है और किसी भी वक्त उक्त आरोपी घटना को अंजाम दे सकता है इसके पूर्व भी ऐसे कई मामले देखने को मिले हैं जिसमे पत्रकार अपराधियों से भयभीत होकर उच्चाधिकारियों से जान का खतरा महसूस होने की आशंका जताई और लिखित शिकायत करने के बावजूद विधिक कार्यवाही नही की गई और अंत में पत्रकार को जान गवाना पड़ती है ।
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