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जानिए मोक्षदा एकादशी का महत्व, इस एकादशी व्रत में इन नियमों का रखा जाता है ध्यान...

रिपोर्ट-न्यूज़ एजेंसी

लखनऊ : हिन्दू शास्त्रों के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी मनाई जाती है ये एकादशी मोक्ष की प्रार्थना के लिए मनाई जाती है मोक्षदा एकादशी से आशय मोह को नाश करने वाली एकादशी से है शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि जो व्यक्ति मोक्षदा एकादशी का व्रत करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है इस व्रत से बढ़कर मोक्ष देने वाला दूसरा कोई भी व्रत नहीं है, मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत कर श्री हरि विष्णु का पूजन करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है साथ ही जातक को कर्मों के बंधन से मुक्ति मिल जाती है और मृत्यु के बाद वह मोक्ष को प्राप्त होता है ।

मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत कर भगवान विष्णु की पूजा करने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जो भी जातक पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करता है, उसे मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति होती है, जो लोग मोक्षदा एकादशी का व्रत नहीं करते हैं उन्हें इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए, मोक्षदा एकादशी को पूरे दिन व्रत रखकर रात्रि जागरण करते हुए भगवान श्री हरि विष्णु का स्मरण करना चाहिए ।

एकादशी व्रत को कभी हरि वासर समाप्त होने से पहले पारण नहीं करना चाहिए, शास्त्रों में द्वादशी समाप्त होने के बाद व्रत का पारण करना पाप के समान माना जाता है यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो रही हो तो इस स्थिति में सूर्योदय के बाद व्रत का पारण किया जा सकता है, द्वादशी तिथि के दिन प्रातः पूजन व ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद ही व्रत का पारण करना चाहिए ।

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