ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह
प्रयागराज : जनपद में स्वास्थ्य विभाग प्रयागराज में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें पंकज कुमार पांडेय नामक स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी का वर्षों से विभाग पर एकछत्र दबदबा बना हुआ है। आरोप है कि पंकज पांडे पिछले 17 वर्षों से प्रयागराज सीएमओ कार्यालय में उसी पद पर कार्यरत हैं। जबकि कोविड काल के दौरान उन्हें घूसखोरी के आरोप में विजिलेंस टीम द्वारा रंगे हाथ गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। इसके बावजूद, न केवल उन्हें फिर से उसी पद पर बहाल कर दिया गया, बल्कि उन्हें विभागीय संरक्षण भी प्राप्त है यह सवालों के घेरे में है।
रंगे हाथ घूस लेते विजलेंस टीम ने किया था गिरफ्तार....
कोविड महामारी के समय प्रयागराज मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में कार्यरत स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी पंकज कुमार पांडे को विजिलेंस टीम ने 35 हजार रुपये घूस लेते हुए सीएमओ कार्यालय के गेट के पास से रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। एसपी विजिलेंस शैलेश कुमार यादव के नेतृत्व में कार्रवाई करते हुए आरोपी को जॉर्जटाउन थाने में सुपुर्द कर, भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था।
सरकारी व्यवस्था पर उठ रहे सवाल...
इस गिरफ्तारी के बाद यह उम्मीद की जा रही थी कि विभाग इस अधिकारी को निलंबित करेगा और कठोर कार्रवाई होगी। लेकिन हुआ इसके उलट। कुछ समय बाद पंकज पांडे को फिर से उन्हीं कार्यों और पदों पर बहाल कर दिया गया। इतना ही नहीं, जेल में रहते हुए उन्हें वेतन और वार्षिक वेतनवृद्धि भी मिल गई। यह माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद के आदेश की सीधी अवहेलना मानी जा रही है।
गैरकानूनी रूप से सह नोडल पद पर कार्य...
सूत्रों के अनुसार, प्रयागराज सीएमओ कार्यालय में नर्सिंग होम रजिस्ट्रेशन हेतु सह-नोडल अधिकारी का कोई स्वीकृत पद ही नहीं है। फिर भी पंकज पांडे उसी भूमिका में वर्षों से कार्यरत हैं और झोलाछाप डॉक्टरों, नर्सिंग होम एवं मेडिकल स्टोर संचालकों से अवैध वसूली के आरोप भी समय-समय पर लगते रहे हैं।
आवास में रहते हुए सरकारी भत्ता लेने का आरोप...
जानकारी के अनुसार, पंकज पांडे सरकारी आवास में रहते हुए आवास भत्ता भी प्राप्त करते रहे, जो स्पष्ट रूप से वित्तीय अनियमितता है। इस संबंध में शहर के एक पार्षद ने आईजीआरएस पोर्टल, महानिदेशक, परिवार कल्याण एवं मुख्य विकास अधिकारी को शिकायत भेजी थी, लेकिन अब तक कोई ठोस जांच या कार्यवाही नहीं हुई है।
विभागीय संरक्षण का खेल...
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि एक ऐसा अधिकारी, जिसे घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया हो, और जिस पर पूर्व में भी भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हों, वह कैसे वर्षों से एक ही पद पर बना हुआ है। क्या यह ऊँचे स्तर पर विभागीय संरक्षण का परिणाम है। क्यों नहीं हुई अब तक विभागीय जांच। क्यों नहीं लगाई गई सेवा से बर्खास्तगी। पंकज पांडे का यह मामला न केवल स्वास्थ्य विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करता है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की विफलता और सुधार की आवश्यकता की ओर भी इशारा करता है। यदि ऐसे मामलों पर कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो इससे ईमानदार अधिकारियों का मनोबल टूटेगा और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।
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