रिपोर्ट-घनश्याम यादव
कौशाम्बी : जनपद के मंझनपुर मुख्यालय में फॉर्चून अस्पताल में इलाज के दौरान मरीज की मौत के बाद जब मामले में पड़ताल की गई तो मालूम हुआ कि यह अस्पताल जिला अस्पताल के चिकित्सक का हैं जो अवैध तरीके से संचालित हो रहा है जिला अस्पताल में तैनात सरकारी चिकित्सक स्वास्थ्य विभाग से मोटा वेतन लेने के बाद अस्पताल में ड्यूटी नहीं देते हैं बल्कि वह अपने निजी नर्सिंग होम में ड्यूटी देकर मरीजों के इलाज के नाम पर लूट मचा रखे हैं लेकिन लुटेरे चिकित्सक पर अभी तक मुख्य चिकित्सा अधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने कार्यवाही करने का बीड़ा नहीं उठाया है जिससे नर्सिंग होम के बढ़ावा में मुख्य चिकित्सा अधिकारी की भूमिका भी सवालों के घेरे में है ।
गौरतलब है कि इसी तरह जनपद के तीनों तहसीलों में सैकड़ों की तादात में प्राइवेट निजी हॉस्पिटल संचालित हो रहे हैं, जहां पर मरीजों को लूटा घसोटा जाता है, हाल ही में सिराथू तहसील अंतर्गत सैनी थाना के करीब सिराथू रोड पर स्थित निशात हॉस्पिटल में भी एक प्रसूता महिला से फर्जी इलाज के नाम पर मोटी रकम जबरन हॉस्पिटल संचालक द्वारा वसूली गई थी, जिसकी लिखित शिकायत आइजीआरएस और कार्यालय स्तर पर जाकर पीड़ित मरीज द्वारा की गई थी लेकिन अभी तक सीएमओ कौशांबी द्वारा इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई है, जबकि इस हॉस्पिटल में पड़ताल के दौरान सामने आया है कि हॉस्पिटल में फार्मासिस्ट नर्स और वार्ड ब्वॉय के पास मरीजों की देखभाल इलाज करने की कोई डिग्री नहीं है, हॉस्पिटल में जिन डॉक्टरों का बोर्ड लगा है वह आते नही है और जो डॉक्टर इलाज करते देखे जाते है उनके पास कोई डिग्री नही है, कुछ चिकित्सक तो केवल खानापूर्ति करते हैं, हॉस्पिटल में पार्किंग स्थल का कोई पता नहीं है, इमरजेंसी सेवा के लिए बेहतरीन आईसीयू, एनआईसीयू वार्ड की कोई सुविधा नहीं है, आधुनिक तकनीक से लैस एंबुलेंस भी नहीं है, ऐसी ही तमाम सुविधाएं जो हॉस्पिटल में होनी चाहिए दूर-दूर तक इस हॉस्पिटल में देखने को नहीं मिलती है, यहां बिना डिग्री का वार्ड ब्याय, नर्स और फार्मासिस्ट या हॉस्पिटल संचालक तथाकथित डॉक्टर ही मरीजों का पूरा इलाज करते हैं जिसके चलते गलत उपचार से मरीजों की जान का खतरा बना रहता है, इस हॉस्पिटल की इन्हीं खामियों को देखते हुए घनश्याम यादव पत्रकार द्वारा खबर प्रकाशित की गई थी जिस पर बौखला कर हॉस्पिटल संचालक द्वारा पत्रकार को बीच रास्ते में रोककर मारने पीटने की धमकी दिया गया था जिससे यह साबित होता है कि कहीं ना कहीं स्वास्थ विभाग की मिलीभगत के चलते प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक पूरी तरह से मनमानी पर उतारू है, जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी अपनी आंखों में पट्टी बांधकर और कानों में तेल डालकर कुर्सियां तोड़ रहे हैं, या यूं कहें कि इन हॉस्पिटल संचालकों के द्वारा मिल रही माहवारी से मुंह पर ताला लगा लिया है, जनपद में स्वास्थ विभाग की नाफरमानी की सजा गरीब अनपढ़ मरीजों को झेलनी पड़ रही है, आखिर कब इन लापरवाह डॉक्टरों की फर्जी हॉस्पिटल का कच्चा चिट्ठा खुलकर सामने आएगा और कब इन हॉस्पिटलों पर कार्यवाही की जाएगी, या यूं ही इन हॉस्पिटलों में मौत का सिलसिला चलता रहेगा ।
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