ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह
कौशाम्बी : जनपद में इन दिनों जीटी रोड किनारे से गैस पाइप लाइन परियोजना भारत सरकार के तहत गैस पाइप लाइन का कार्य इंडेन ऑयल और ठेकेदारों द्वारा कराया जा रहा है, गैस पाइप लाइन के कार्य में ठेकेदार की मनमानी बखूबी देखी जा रही है जिसमें जिम्मेदारों की भी पूरी सांठगांठ नजर आ रही है, गैस पाइप लाइन में खुदाई के दौरान सड़क किनारे हाल ही में लगाए गए हजारों पौधों को जोकि धीरे-धीरे व्यस्क होने की कगार पर थे, उन्हें खुदाई के दौरान जेसीबी मशीन से उखाड़वा दिए गए, जब इस बात की भनक स्थानीय वन विभाग के कर्मचारियों को लगी तो वह मौके पर जाकर ठेकेदार द्वारा कराए जा रहे कार्य को रुकवा दिया गया, बाद में ठेकेदार द्वारा 4000 वन विभाग के रवीन्द्र नाम के फारेस्ट कर्मचारी को दिए जाने पर पुनः कार्य शुरू करा दिया, इस खबर को जब मीडिया में प्रकाशित किया गया तो ठेकेदार समेत वन विभाग के कर्मचारी खनखना उठे, राज खुल जाने की वजह से गैस पाइप लाइन में करा रहे प्रोजेक्ट मैनेजर ने बताया कि वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों ने उसे डरा धमका कर कार्य कराने के लिए 4000 लिया है साथ ही कहा कि अभी तुम्हारे परमिशन और जुर्माने का आवेदन प्रोसेस में चल रहा है अभी तुम काम करा सकते हो, खबर की बात को लेकर प्रोडक्ट मैनेजर द्वारा खोले गए राज की एक कॉल रिकॉर्डिंग भी वायरल हुई है जिसमें प्रोजेक्ट मैनेजर ने साफ-साफ बताया है कि उसने मूरतगंज क्षेत्र के स्थानीय फॉरेस्ट कर्मचारियों को 4000 की रिश्वत खोरी दी है ।
विभागीय जिम्मेदारों पर ऐसा इल्जाम वाकई शर्मनाक है, इससे साफ जाहिर हो रहा है कि वन विभाग के कर्मचारी पैसे लेकर के हरियाली को सफाचट कराने में अहम भूमिका निभा रहे हैं, वहीं स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि भारत सरकार की गैस पाइप लाइन परियोजना के तहत कार्य करा रहा ठेकेदार भी पूरी तरह से बेलगाम होकर मनमानी तरीके से कार्य करा रहा है, ग्रामीणों के अनुसार ठेकेदार द्वारा रोड किनारे बनी नालियां और पेड़ों को तेजी से नष्ट कराया जा रहा है क्या इसके लिए ठेकेदार के पास कोई मानक या निर्धारित संसाधन नहीं है, आखिर उसे किस बेस पर ऐसे कार्य कराने का परमिशन दे दिया गया है, यह जिम्मेदारों की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है ।
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