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प्रेमनगर में फैला है अवैध डेंटल क्लीनिकों का जाल, जिम्मेदार हैं मौन...

रिपोर्ट-ईश्वर दीन साहू


फतेहपुर : जनपद में शासन प्रशासन चाहे जितना स्वास्थ्य विभाग के प्रति गंभीरता दिखा ले लेकिन स्वास्थ्य माफियाओं के आगे कहीं ना कहीं शासन प्रशासन हमेशा पंगु और बौना ही साबित होता है, आम जनता के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर उत्तर प्रदेश सरकार या यूं कहें कि माननीय मुख्यमंत्री समेत स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक की जमीनी मेहनत पर भी स्वास्थ्य विभाग के ठेकेदार पलीता लगाते हुए दावा करते होंगे कि आप अपनी नेतागिरी चलाव और हम माफियागिरी से बाज नहीं आयेंगे, इसका जीता जागता उदाहरण आप समाचार के माध्यम से देखते, पढ़ते और सुनते होंगे कि उप मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक के दौरे के दौरान भी कामचोर तथा दलाल मिजाज़ के स्वास्थ्य कर्मचारी भी लापरवाही का नमूना पेश करते नजर आते हैं जो शासन को खुला ठेंगा दिखाते हैं, यही स्थिति गांव और शहरों में अवैध रूप से हॉस्पिटल, पॉली क्लीनिक चलाने वाले छोलाछाप संचालकों का भी है जिन्हें मैनेज करना आता है फिर वो चाहे किसी के जान जाने की क़ीमत ही क्यूँ ना चुकानी पड़े, अक्सर लोग कहते हैं कि जिंदगी बहुत क़ीमती है लेकिन ऐसी जगह पर आपका ये मिथ्य दूर हो जाता है क्यूंकि अवैध अस्पतालों में किसी के जान की न तो परवाह की जाती है और न ही जान की क़ीमत समझी जाती है यहां बस नोटों वाली क़ीमत ही समझी जाती है। जहां एक तरफ समूचा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो स्वास्थ्य माफिया भी शासन व प्रशासन को अपनी कठपुतली मानते हुए लोगों की मौत पर हुई कमाई का महोत्सव मना रहे होंगे, खैर आज बात कर रहे हैं खागा तहसील के प्रेमनगर कस्बे की जिसकी आज तक कागज में कोई पहचान भले ही न हुई हो लेकिन यहां सजी स्वास्थ्य के लुटेरों की मंडी अपने आप में फल - फूल रही है, खासकर डेंटल क्लीनिक के नाम पर कई नौसीखिए डेंटिस्ट अपने आप को डॉक्टर कहलवाकर लोगों की गाढ़ी कमाई लूट रहे हैं, कस्बे में विनोद डेंटल केयर, एडवांस डेंटल क्लीनिक, विकास डेंटल आदि के नाम से दांतों के अस्पताल धड़ल्ले से बिना किसी रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं और इनके संचालकों का दावा है कि नीचे से ऊपर तक मैनेज करते हैं, हांलाकि किस तरह से मैनेज करते हैं इस बात की पुष्टि हम नहीं कर सकते पर इस तरीके से बिना रोक - टोक धड़ल्ले से अस्पतालों का संचालन कहीं न कहीं स्वास्थ्य महकमे खासकर मुख्य चिकित्साधिकारी पर सवालिया निशान खडा करते हैं, सूत्रों की मानें तो कुछ डेंटल क्लीनिक की आंड में महिला स्टाफ के माध्यम से गर्भपात आदि का भी अवैध गोरख धन्धा भी चलाया जा रहा है एवं अंग्रेजी दवाओं का भी स्टॉक रख कर बेचा जाता है, यदि ऐसा कुछ हो रहा है तो स्वास्थ्य विभाग के साथ ही औषधि प्रशासन के निरीक्षक व अधिकारियों पर भी सवाल उठना लाजमी है, ऐसे मामलों में जब इन डेंटल संचालकों से बात किया जाता है और सवाल होता है कि बिना डिग्री और बिना पंजीयन के कैसे हो पाता है तो तो ये लोग दो टूक जवाब देते हैं जोकि होता है मैनेजमेन्ट, इनका कहना है कि हर स्तर की घूंस राशि तय है जिसमें ड्रग इंस्पेक्टर से लेकर सीएमओ साहब तक का शेयर फिक्स होता है फिर हमें डर किस बात का है और तो और इन लोगों का कहना है कि जब हमें घूंस देना ही होता है तो अस्पताल में दूसरे केस देखने में कोई हर्ज नहीं है और कमाई का जरिया भी बन जाता है, अंत में इन संचालकों का ये भी कहना रहता है कि कोई अपने घर से रिश्वत का पैसा थोड़े दिया जाता है उसका एवरेज मरीज़ से ही वसूला जाता है ।

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