रिपोर्ट-प्रिंस मिश्रा
लखनऊ : समाजवादी पार्टी की नीव कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन से उत्तर प्रदेश की राजनीति के एक युग का अंत हो गया है, मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवम्बर 1939 को इटावा जिले के सैफई गांव में एक किसान परिवार के यहां हुआ था, उनकी माता का नाम मूर्ति देवी और पिता का नाम सुघर सिंह यादव है मुलायम सिंह यादव अपने पांच भाई बहनों में रतनसिंह यादव से छोटे हैं अभयराम सिंह यादव, शिवपाल सिंह यादव, राजपाल सिंह और कमला देवी से बड़े हैं, प्रोफेसर रामगोपाल यादव इनके चचेरे भाई हैं पिता सुघर सिंह उन्हें पहलवान बनाना चाहते थे किन्तु पहलवानी में अपने राजनीतिक गुरु चौधरी नत्थू सिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती प्रतियोगिता में प्रभावित करने के पश्चात उन्होंने नत्थूसिंह के परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था, राजनीति में आने से पूर्व मुलायम सिंह यादव आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर एमए और बीटी करने के उपरान्त इन्टर कालेज में प्रवक्ता नियुक्त हुए और सक्रिय राजनीति में रहते हुए नौकरी से त्यागपत्र दे दिया, मुलायम सिंह उत्तर भारत के बड़े समाजवादी और किसान नेता हैं एक साधारण किसान परिवार में जन्म लेने वाले मुलायम सिंह ने अपना राजनीतिक जीवन उत्तर प्रदेश में विधायक के रूप में शुरू किया, बहुत कम समय में ही मुलायम सिंह का प्रभाव पूरे उत्तर प्रदेश में नज़र आने लगा था, मुलायम सिंह ने उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग समाज के सामाजिक स्तर को ऊपर करने में महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा किया, सामाजिक चेतना के कारण उत्तर प्रदेश की राजनीति में अन्य पिछड़ा वर्ग का महत्वपूर्ण स्थान हैं समाजवादी नेता रामसेवक यादव के प्रमुख अनुयायी शिष्य थे तथा इन्हीं के आशीर्वाद से मुलायम सिंह 1967 में पहली बार विधान सभा के सदस्य चुने गये और मन्त्री बने, साल 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी बनाई, वो तीन बार क्रमशः 5 दिसम्बर 1989 से 24 जनवरी 1991 तक, 5 दिसम्बर 1993 से 3 जून 1996 तक और 29 अगस्त 2003 से 11 मई 2007 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री रहे, इसके अतिरिक्त वो केन्द्र सरकार में रक्षा मन्त्री भी रह चुके हैं, उत्तर प्रदेश में यादव समाज के सबसे बड़े नेता के रूप में मुलायम सिंह की पहचान है, उत्तर प्रदेश में सामाजिक सद्भाव को बनाए रखने में मुलायम सिंह ने साहसिक योगदान किया, मुलायम सिंह की पहचान एक धर्मनिरपेक्ष नेता की है उत्तर प्रदेश में उनकी पार्टी समाजवादी पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी माना जाता है उत्तर प्रदेश की सियासी दुनिया में मुलायम सिंह यादव को प्यार से नेता जी कहा जाता है ।
साल 2012 में समाजवादी पार्टी को उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में पूर्ण बहुमत मिला यह पहली बार हुआ था कि उत्तर प्रदेश में सपा अपने बूते सरकार बनाने की स्थिति में थी नेता जी के पुत्र और सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बसपा की सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा जोर शोर से उठाया और प्रदेश के सामने विकास का एजेंडा रखा, अखिलेश यादव के विकास के वादों से प्रभावित होकर पूरे प्रदेश में उनको व्यापक जनसमर्थन मिला, चुनाव के बाद नेतृत्व का सवाल उठा तो नेताजी ने वरिष्ठ साथियों के विमर्श के बाद अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया, अखिलेश यादव मुलायम सिंह के पुत्र है अखिलेश यादव ने नेता जी के बताए गये रास्ते पर चलते हुए उत्तर प्रदेश को विकास के पथ पर आगे बढ़ाने का काम किया, सपा के नेता मुलायम सिंह यादव पिछले तीन दशक से राजनीति में सक्रिय हैं अपने राजनीतिक गुरु नत्थूसिंह को मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती प्रतियोगिता में प्रभावित करने के पश्चात मुलायम सिंह ने नत्थूसिंह के परम्परागत विधान सभा क्षेत्र जसवन्त नगर से ही अपना राजनीतिक सफर आरम्भ किया था, मुलायम सिंह यादव जसवंत नगर और फिर इटावा की सहकारी बैंक के निदेशक चुने गए थे, विधायक का चुनाव भी शोसलिस्ट पार्टी और फिर प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से लड़ा था, इसमें उन्होंने विजय भी प्राप्त की, उन्होंने स्कूल के अध्यापन कार्य से इस्तीफा दे दिया था पहली बार मंत्री बनने के लिए मुलायम सिंह यादव को 1977 तक इंतज़ार करना पड़ा, जब कांग्रेस विरोधी लहर में उत्तर प्रदेश में भी जनता सरकार बनी थी, 1980 में भी कांग्रेस की सरकार में वे राज्य मंत्री रहे और फिर चौधरी चरण सिंह के लोकदल के अध्यक्ष बने और विधान सभा चुनाव हार गए चौधरी साहब ने विधान परिषद में मनोनीत करवाया जहां मुलायम सिंह प्रतिपक्ष के नेता भी रहे ।
फिर साल 1996 में मुलायम सिंह यादव ग्यारहवीं लोकसभा के लिए मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र से चुने गए थे और उस समय जो संयुक्त मोर्चा सरकार बनी थी, उसमें मुलायम सिंह भी शामिल थे और देश के रक्षामंत्री बने थे यह सरकार बहुत लंबे समय तक नही चल पाई, मुलायम सिंह यादव को प्रधानमंत्री बनाने की भी बात चली थी प्रधानमंत्री पद की दौड़ में वो सबसे आगे खड़े थे किंतु उनके सजातियों ने उनका साथ नहीं दिया, लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने उनके इस इरादे पर पानी फेर दिया, इसके बाद चुनाव हुए तो मुलायम सिंह संभल से लोकसभा में वापस लौटे, असल में वे कन्नौज भी जीते थे किंतु वहां से उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को सांसद बनवा दिया, केंद्रीय राजनीति में मुलायम सिंह का प्रवेश 1996 में हुआ जब काँग्रेस पार्टी को हरा कर संयुक्त मोर्चा ने सरकार बनाई एचडी देवेगौडा के नेतृत्व वाली इस सरकार में वह रक्षामंत्री बनाए गए थे किंतु यह सरकार भी ज़्यादा दिन चल नहीं पाई और तीन साल में भारत को दो प्रधानमंत्री देने के बाद सत्ता से बाहर हो गई, भारतीय जनता पार्टी के साथ उनकी विमुखता से लगता था वह कांग्रेस के नज़दीक होंगे लेकिन 1999 में उनके समर्थन का आश्वासन ना मिलने पर कांग्रेस सरकार बनाने में असफल रही और दोनों पार्टियों के संबंधों में कड़वाहट पैदा हो गई, साल 2002 के उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 391 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए, जबकि 1996 के चुनाव में उसने केवल 281 सीटों पर ही चुनाव लड़ा था ।
मुलायम सिंह यादव की राष्ट्रवाद, लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्तों में अटूट आस्था रही है भारतीय भाषाओं, भारतीय संस्कृति और शोषित पीड़ित वर्गों के हितों के लिए उनका अनवरत संघर्ष जारी रहा है उन्होंने ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, जर्मनी, स्विटजरलैण्ड, पोलैंड और नेपाल आदि देशों की भी यात्राएं की हैं, लोकसभा सदस्य कहा जाता है कि मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश की किसी भी जनसभा में कम से कम पचास लोगों को नाम लेकर मंच पर बुला सकते हैं, समाजवाद के फ़्राँसीसी पुरोधा कॉम डी सिमॉन की अभिजात्यवर्गीय पृष्ठभूमि के विपरीत उनका भारतीय संस्करण केंद्रीय भारत के कभी निपट गांव रहे सैंफई के अखाड़े में तैयार हुआ है वहां उन्होंने पहलवानी के साथ ही राजनीति के पैंतरे भी सीखे थे लोकसभा से मुलायम सिंह यादव ग्यारहवीं, बारहवीं, तेरहवीं और पंद्रहवीं लोकसभा के सदस्य चुने गये थे, अब उनका निधन हो जाने से पार्टी के एक युग का अंत हो गया है राजनीति में इतने संघर्षों के बाद ही उन्हें धरतीपुत्र कहा जाता है ।
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