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विवेकानंद कंपटीशन कोचिंग संस्थान में मनाई गई स्वामी विवेकानंद की जयंती, भारी संख्या में विद्यार्थी रहे मौजूद...

ब्यूरो रिपोर्ट-जतन सिंह 

महोबा : जनपद में विवेकानंद कंपटीशन कोचिंग संस्थान में स्वामी विवेकानंद की जयंती मनाई गई, इस कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए पवन कुशवाहा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के तहसील संयोजक ने बताया कि युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे, उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था, उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था, भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदान्त दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की वक्तृता के कारण ही पहुँचा, उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है, वे रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे उन्हें 2 मिनट का समय दिया गया था किन्तु उन्हें प्रमुख रूप से उनके भाषण का आरम्भ मेरे अमेरिकी बहनों एवं भाइयों के साथ करने के लिये जाना जाता है उनके संबोधन के इस प्रथम वाक्य ने सबका दिल जीत लिया था, कलकत्ता के एक बंगाली कायस्थ परिवार में जन्मे विवेकानन्द आध्यात्मिकता की ओर झुके हुए थे वो अपने गुरु रामकृष्ण देव से काफी प्रभावित थे जिनसे उन्होंने सीखा कि सारे जीवों मे स्वयं परमात्मा का ही अस्तित्व हैं; इसलिए मानव जाति अथेअथ जो मनुष्य दूसरे जरूरतमन्दो की मदद करता है या सेवा द्वारा परमात्मा की भी सेवा की जा सकती है, रामकृष्ण की मृत्यु के बाद विवेकानन्द ने बड़े पैमाने पर भारतीय उपमहाद्वीप की यात्रा की और ब्रिटिश भारत में तत्कालीन स्थितियों का प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त किया, बाद में विश्व धर्म संसद 1893 में भारत का प्रतिनिधित्व करने, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए प्रस्थान किया, विवेकानन्द ने संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोप में हिंदू दर्शन के सिद्धान्तों का प्रसार किया और कई सार्वजनिक और निजी व्याख्यानों का आयोजन किया, भारत में विवेकानन्द को एक देशभक्त सन्यासी के रूप में माना जाता है और उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है, इस दौरान कोचिंग संचालक आदरणीय साजिद सर जी, अन्य शिक्षक अकरम सर, रोहित शर्मा सर एवं रश्मि, सोमवती, आदि समस्त कोचिंग संस्थान के समस्त विद्यार्थी उपस्थित रहे ।

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