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ऐसी कोतवाली जहां के प्रभारी हैं काल भैरव, पुलिस अफसरों की बगल में लगाती है कुर्सी...

रिपोर्ट-न्यूज़ एजेंसी 

वाराणसी : उत्तर प्रदेश में एक पुलिस स्टेशन ऐसा भी है जहां पर थानेदार की कुर्सी पर आज तक किसी अधिकारी ने बैठने की हिम्मत नहीं जुटा पाई है आपको बतादें कि वाराणसी के विश्वेश्वरगंज में स्थित कोतवाली की मुख्य कुर्सी पर बाबा काल भैरव अपना आसन बरसों से जमाए हुए हैं अफसर बगल में कुर्सी लगाकर बैठते हैं, आपको जानकर हैरानी होगी कि आईएएस, आईपीएस अधिकारी भी इस पुलिस स्टेशन में कोतवाल की कुर्सी पर नहीं बैठते हैं, इस कोतवाली का कोई अधिकारी निरीक्षण भी नही करता है उनका मानना है कि जिस कोतवाली को स्वयं बाबा काल भैरव देख रहे हो उसका निरीक्षण कौन कर सकता है, वाराणसी के विश्वेश्वरगंज में स्थित कोतवाली पुलिस स्टेशन के प्रभारी का कहना है कि ये परंपरा बरसों से चली आ रही है यहां कोई भी थानेदार जब तैनाती में आता है तो वह अपनी कुर्सी पर नहीं बैठता है, कोतवाल की कुर्सी पर हमेशा काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव ही विराजते हैं, लोगों का मानना है कि आने जाने वालों पर बाबा खुद नजर बनाए रखते हैं इसी कारण भैरव बाबा को वहां का कोतवाल भी कहा जाता है, बाबा की इतनी मान्यता है कि वहां की पुलिस भी बाबा की पूजा करने से पहले कोई काम शुरु नही करती है पूरी काशी नगरी का लेखा जोखा बाबा के पास माना जाता है कि बाबा विश्वनाथ ने पूरी काशी नगरी का लेखा जोखा का जिम्मा काल भैरव बाबा को सौंप रखा ह, यहां तक कि बाबा की इजाजत के बिना कोई भी व्यक्ति शहर में प्रवेश नहीं कर सकता है, पिछले 18 सालों से तैनात एक कॉन्स्टेबल का कहना है कि मैंने अभी तक किसी भी थानेदार को अपनी कुर्सी पर बैठते नहीं देखा है बगल में कुर्सी लगाकर ही प्रभारी निरीक्षक बैठता है हालांकि इस परंपरा की शुरुआत कब और किसने किया था यह कोई ठीक ठाक नही बता पा रहा है लोगों का ऐसा मानना है कि यह परंपरा कई सालों पुरानी है बाबा की मान्यता माना जाता है कि साल 1715 में बाजीराव पेशवा ने काल भैरव मंदिर बनवाया था उसी  समय से यह नियम चला आ रहा है जानकारों का कहना है कि अंग्रेजी हुकूमत के दौरान भी कोई अंग्रेज अधिकारी इस कोतवाल की कुर्सी पर नही बैठा था, आजादी के बाद से हर बड़ा प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी सबसे पहले बाबा के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेता है, काल भैरव के मंदिर में हर दिन 4 बार आरती होती है जिसमें रात के समय होने वाली आरती सबसे प्रमुख होती हैं आरती से पहले बाबा को स्नान कराकर उनका श्रृंगार किया जाता है ।

खास बात यह है कि आरती के समय पुजारी के अलावा मंदिर के अंदर किसी को जाने की इजाजत नहीं होती है बाबा को सरसों का तेल चढ़ता है साथ ही एक अखंड दीप बाबा के पास हमेशा जलता रहता है, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने ही काल भैरव को उत्पन्न किया था और समय अनुसार उन्हें काशी का कोतवाल नियुक्त किया था तब से आज तक बाबा काल भैरव को काशी का कोतवाल माना जाता है बताते हैं उनकी मर्जी के बगैर कोई काशी नगरी के अंदर प्रवेश नहीं कर सकता है ।

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