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अंग्रेजों ने करवाया था सोंधिया पुल का निर्माण, नीचे से बहती है नदी, बीच में नहर, ऊपर से रोड...

ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह
 
कौशाम्बी : जनपद में मंझनपुर तहसील के बारा विकास खंड अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत सोंधिया में बना अंग्रेजों के जमाने का पुल आज भी मजबूती की मिसाल दे रहा है, कहा जाए तो यह उस दौर में ब्रिटिश इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना है, सन 1900 के पहले बना यह पुल तीन मार्गों का काम एक साथ करता चला आ रहा है इसी पुल के नीचे से किलनहाई नदी बहती है इसी पुल के बीच से नहर गुजरती है, वहीं ऊपर से रोड बनी हुई है जिस पर आस पास के ग्रामीणों का बराबर आवागमन होता रहता है यह पुल देखने में बेहद ही खूबसूरत नजर आता है ।

साल 1900 के आसपास ब्रिटिश हुकूमत ने किसानों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए हरिद्वार से रामगंगा नहर का निर्माण कराया था उसी की एक शाखा को इसी नहर के जरिए मंझनपुर और चायल तहसील के कई क्षेत्रों में पानी पहुंचाने का काम किया गया था अब यह किशुनपुर पम्प कैनाल से संचालित हो रही हैं उस समय इस नहर पर नियंत्रण रखने के लिए अंग्रेजों ने नगरेहा में एक कोठी बनवाई थी जिसे निरीक्षण भवन कहा जाता है जो आज भी मौजूद है ।

इसी कोठी पर अंग्रेज के बड़े बड़े अधिकारी ठहेरा करते थे यहीं पर किसानों से लगान की वसूली हुआ करती थी इसी कोठी पर अंग्रेज किसानों और लोगों पर जुल्मों सितम भी किया करते थे, इसी कोठी पर कचहरी भी लगाई जाती थी जानकार बताते हैं कि नाहर पर कोई भी जूता पहनकर नहीं चल सकता था, अंग्रेजों ने मुनादी करा रखी थी कि अगर कोई जूता पहनकर नहर पर चलेगा तो उसे 100 कोड़े लगाए जाएंगे ।

साथ ही यह भी फरमान जारी किया गया था कि अगर किसी का लगान बाकी पाया गया तो उसे सोंधिया नहर के पुल से गुजरने नहीं दिया जाएगा, पुल के पास रोजाना एक अंग्रेज का कर्मचारी पहरेदारी पर लगाया जाता था जो लोगों से लगान की वसूली और पुल की देखरेख करता था, वहीं गांव के रहने वाले 70 वर्षीय कल्लू का कहना है कि हमारे बड़े बुजुर्ग बताते थे कि क्रांतिकारियों के विद्रोह से भन्नाये एक अंग्रेजी मजिस्ट्रेट ने कई बकायेदार किसानों को इसी पुल से नदी में फेंकवा दिया था इस पुल पर हुई बर्बरता की अनगिनत कहानियां यहां आसपास के लोगों के ज़हन में छुपी हुई है ।

इस पुल से लगान के बकायेदार किसानों के आवागमन की खुली मनाही थी अगर कोई नियम को तोड़ देता था तो उसे पकड़वा कर नगरेहा कोठी पर 100 कोड़े लगाये जाते थे उस पर मुकदमा चलाया जाता था दूसरे जिलों की कचहरी में तारीख लगाई जाती थी, ऐसे ही तमाम रोचक बातें इस पुल से जुड़ी हुई है अंग्रेजों के जमाने में बनाया गया यह पुल आज भी लोगों को अपनी सेवाएं दे रहा है इस पुल के बीच से गुजरने वाली नहर के पानी का पुल में कोई रिसाव नही हुआ है ।

पुल पूरी तरह से मजबूती के साथ खड़ा है इसकी देखरेख सिंचाई विभाग द्वारा की जा रही है पुल से लगभग तीन किलोमीटर दूर स्थित नगरेहा कोठी भी सिंचाई विभाग संरक्षण में चल रही है यहां के स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को इसे संरक्षित रखने के लिए और ध्यान देने की जरुरत है ।

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