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गरीबों की सेवा के लिए डॉक्टर बनेंगी श्रेया सिंह, समाजसेवा को बनाया जीवन का उद्देश्य...

ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह 


प्रयागराज : जनपद में पूरामुफ्ती क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले अकबरपुर सल्लाहपुर गांव की रहने वाली श्रेया सिंह ने अपनी लगन परिश्रम और जज्बे से सफलता की नई मिसाल कायम की है। हाल ही में उन्होंने डॉक्टर कृष्ण गोपाल द्विवेदी आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज झांसी में दाखिला प्राप्त किया है। दाखिले के बाद श्रेया ने अपने भाव साझा करते हुए कहा कि वे डॉक्टर बनकर समाज के गरीब असहाय और जरूरतमंद लोगों की सेवा करना चाहती हैं। उनका सपना है कि हर उस मरीज तक मुफ्त इलाज की सुविधा पहुंचे, जो आर्थिक तंगी के कारण सही उपचार से वंचित रह जाता है। श्रेया सिंह ने बताया कि उन्हें बचपन से ही मानव सेवा और समाज कल्याण की भावना अपने परिवार से मिली है। उनके पिता एक सरकारी विद्यालय में शिक्षक रहे हैं, जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि माता गृहिणी हैं। परिवार ने सदैव उन्हें शिक्षा, संस्कार और समाज के प्रति जिम्मेदारी का महत्व समझाया। श्रेया कहती हैं कि उनके माता-पिता और गुरुजनों ने हमेशा उन्हें प्रोत्साहित किया और यही प्रेरणा उनके जीवन का आधार बनी।

श्रेया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मदर टेरेसा कॉन्वेंट स्कूल, मनौरी (कौशांबी) से प्राप्त की। बचपन से ही उनकी रुचि विज्ञान विषयों में रही और वे मेडिकल क्षेत्र में कुछ करने का सपना देखती थीं। हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने के बाद उन्होंने बीएमसी (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) में दाखिला लिया। अब उनका लक्ष्य न केवल डॉक्टर बनना है, बल्कि आयुर्वेद जैसे भारतीय चिकित्सा पद्धति को जन-जन तक पहुंचाना है। टीबी न्यूज़ चैनल से बातचीत में श्रेया ने कहा कि मेरा उद्देश्य सरकारी नौकरी पाना या निजी अस्पताल खोलकर पैसा कमाना नहीं है। मैं डॉक्टर बनकर समाज के उन वर्गों की सेवा करना चाहती हूं, जिन्हें अक्सर इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। मेरा सपना है कि मैं अपने ज्ञान और सेवाभाव से देश को मजबूत और स्वस्थ बनाने में योगदान दूं।

श्रेया आगे बताती हैं कि वह भविष्य में अपने क्षेत्र या जिले में एक नि:शुल्क स्वास्थ्य केंद्र खोलने की योजना बना रही हैं, जहां ग्रामीण और गरीब लोग बिना किसी शुल्क के इलाज करा सकें। उनका मानना है कि असली खुशी तब मिलती है जब किसी की मदद से उसका जीवन संवर जाए। उनके इस जज्बे और सोच से परिवार, रिश्तेदारों और शिक्षकों में गर्व की लहर है। पिता हीरालाल सिंह ने कहा कि श्रेया बचपन से ही पढ़ाई में तेज रही है, लेकिन उससे भी बढ़कर उसमें सेवा और संवेदना की भावना है। हमें गर्व है कि उसने अपने करियर को केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि समाज की भलाई के लिए चुना है।

श्रेया की मां सीमा सिंह ने कहा कि श्रेया की सफलता और उनके उद्देश्यों ने न केवल परिवार बल्कि पूरे समाज में खुशी का माहौल बना दिया है। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी जहां भौतिक सुख-सुविधाओं की ओर भाग रही है, वहीं श्रेया जैसी बेटियां समाज में नई प्रेरणा बन रही हैं। वास्तव में श्रेया सिंह जैसी युवा प्रतिभाएं देश के भविष्य की दिशा तय कर रही हैं। उनका यह जज्बा बताता है कि अगर मन में सेवा की भावना और दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो कोई भी सपना असंभव नहीं। समाज सेवा के इस पवित्र पथ पर अग्रसर श्रेया आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं।

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