रिपोर्ट-इरशाद हुसैन
महोबा : चरखारी के मेला सहस्त्र श्री गोवर्धननाथजी में जहां विष्णु महायज्ञ , संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा, मथुरा से आई रास मंडली द्वारा रासलीला, रामलीला आदि अनेकों धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए वही आज मेला परिसर में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन व मुशायरे का भी आयोजन किया गया ,, जिसमें कवि मनोहर मनोज कटनी से, केके अग्निहोत्री कानपुर से, कवि प्रकाश पटेरिया छतरपुर से, विवेक बरसैयां गुरसराय, श्रीमती शिखा मिश्रा कानपुर से, शायर सरवर कमाल झांसी से सबीह हासमी छतरपुर से पंडित पंकज ललितपुर से एवं स्थानीय कवियों की भी उपस्थिति रही कवि सम्मेलन का शुभारंभ भाजपा जिला अध्यक्ष जितेंद्र सिंह सेंगर, नगर पालिका अध्यक्ष मूलचंद अनुरागी ने किया, कवि सम्मेलन का संचालन कानपुर से पधारे कवि के के अग्निहोत्री एवं अध्यक्षता छतरपुर से पधारे कवि श्री प्रकाश पटेरिया द्वारा की गई, सर्वप्रथम कानपुर से पधारी शिखा मिश्रा द्वारा सरस्वती वंदना के रूप में अपनी प्रस्तुति दी गई जिसके उपरांत सभी कवियों द्वारा कविता पाठ किया गया, गजलें हो या गीत सब का दर्द ही आधार है, कविता की हर बूंद सौ-सौ आंसुओं के पार है, कवि अभिराज पंकज द्वारा कही गई उपरोक्त पंक्तियों को सुनकर लोग मंत्रमुग्ध से हो गए, कवि श्री प्रकाश पटेरिया छतरपुर द्वारा पढ़ी गई कविता जो जगन्नाथ रत्नाकर से गंगा अवतरण कराती है, ऋषि वाल्मीकि कि वह पावन बेटी कविता कहलाती है, सुनकर लोग वाह-वाह करने लगे, वही कवि विवेक बरसैया द्वारा कहे गए मुक्तक प्रेम में मान् या अपमान कहां होता है, दर्द होता है, समाधान कहां होता है, रुकमणी बनना तो आसान बहुत है लेकिन, राधा बनना कभी आसान कहां होता है, पर लोग तालियां बजाने के लिए मजबूर हो गए, वही छतरपुर से पधारे सबीह हाशमी द्वारा कही गई पंक्तियां वसीयत में करा लो मुझसे अपनी जान कर दूंगा, वतन की आन की खातिर में सब कुर्बान कर दूंगा,, ने लोगों को राष्ट्रभक्ति से लबरेज करते हुए तालियों की गड़गड़ाहट से पूरे मेला परिसर को गुंजायमान कर दिया शायर मोहम्मद परवेज ने कस्बा की हिंदू मुस्लिम संस्कृति पर कविता प्रस्तुत की, स्थानीय कवि प्रदीप दिहुलिया के 8 वर्षीय सुपुत्र गोपाल द्वारा प्रस्तुत गई कविता मनु महारानी ने देखो पिया विठूरी पानी था, रण कौशल, तीरों, तलवारों में ना कोई सानी था,, बेहद सराही गई ,कवि सम्मेलन सुनने वालों की अच्छी खासी तादाद कवि सम्मेलन की समाप्ति तक कवियों से कविताएं सुनने के लिए जमी रही ।
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