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शंकरगढ़ क्षेत्र में मरीजों में दहशत फैला रही है अवैध लैब की मंडी, स्वास्थ विभाग के जिम्मेदार मौन...

रिपोर्ट-सोमराज वर्मा

प्रयागराज : जनपद में बिना डिग्री, डिप्लोमा और पंजीकरण के संचालित तमाम पैथोलॉजी लैब खून की जांच के नाम पर मोटी रकम वसूल रही हैं और उनकी गलत रिपोर्ट से मरीजों को मानसिक आघात पहुंचा रही हैं, बुखार के रोगियों को टाइफाइड, मलेरिया, डेंगू जैसी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बताया जा रहा है प्लेटलेट्स की कमी की रिपोर्ट देकर मरीज को जान का खतरा दिखा रहे हैं, इसमें झोलाछाप भी लैब संचालकों का सहयोग कर रहे हैं, सूत्रों का कहना है कि इस कारोबार में स्वास्थ्य विभाग के ब्लाक जांच अधिकारी भी शामिल हैं, इन दिनों मच्छरजनित बीमारियों का मौसम चल रहा है शंकरगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लगभग 50 से ज्यादा गांव मलेरिया, वायरल फीवर के लिहाज से हाई रिस्क श्रेणी में शामिल हैं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रतिदिन लगभग 5 से 6 दर्जन वायरल फीवर, मलेरिय, टाईट फाइट  के लगातार रोगी मिल रहे हैं, गौर करने वाली बात यह है कि शंकरगढ़ में एक भी पंजीकृत लैब रोगियों की जांच के आधार पर स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट नही दे रही हैं, झोलाछाप और निजी लैब की सांठगांठ के अवैध कारोबार में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के स्थानीय जांच अधिकारी डॉक्टर भी शामिल हैं, गौर करने वाली बात यह है कि न ही झोलाछाप पर कार्यवाही की जाती है, और न ही लैब्स के खिलाफ कार्यवाही होती है, शंकरगढ़ से लेकर देहात तक दर्जनों की संख्या में अवैध लैब चल रही हैं, झोलाछाप एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक भी इन लैब में ही जांच कराने की सलाह देते हैं, संक्रामक रोगों की नहीं मिल पाती सटीक सूचना* मलेरिया, डेंगू समेत अन्य संक्रामक बीमारियों का स्वास्थ्य विभाग पूरा डाटा रखता है, गौर करने वाली बात यह है कि सरकारी अस्पतालों से ज्यादा संख्या में रोगी निजी डॉक्टरों के पास पहुंचते हैं सरकारी अस्पतालों की पैथोलॉजी से ज्यादा निजी अवैध पैथोलॉजी में जांचें होती हैं सरकारी अस्पतालों में होने वाली जांचों का रिकार्ड तो सेहत महकमे के पास रहता है, लेकिन निजी लैबों की जांच का कोई रिकार्ड नहीं रहता, शंकरगढ़ में कुछ लैब पंजीकृत है और वह भी अपनी जांच के आधार पर स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट भी नही उपलब्ध कराती हैं, बाकी करीब 3 से 4 दर्जन ऐसी लैब हैं जो पंजीकृत नहीं हैं और कोई रिपोर्ट भी स्वास्थ्य विभाग को नहीं देतीं *सरकारी डाक्टरो का बंधा कमीशन अवैध पैथोलॉजी संचालकों ने सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों से कमीशन सेट कर रखा है, डॉक्टर ही जांच के लिए उनके यहां मरीज भेजते हैं, सरकारी अस्पताल के सामने एक दो पैथोलॉजी ऐसे हैं जिनकी रिपोर्ट पर डॉक्टरों का भरोसा अस्पताल में चलने वाले पैथोलॉजी से अधिक रहता है शंकरगढ़ सीएचसी के आसपास एक भी पैथोलॉजी के पास कोई रजिस्टर्ड पैथोलॉजी नहीं है इसके बाद भी सीएमओ चुप्पी साधे बैठे हैं, बीते तीन साल के भीतर एक एक भी पैथोलॉजी की ना तो जांच हुई है और ना ही कोई कार्यवाही की गई है ।

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