ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह
प्रयागराज : जनपद को पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था जो अपनी पवित्रता और धर्मकर्म के लिए मशहूर था लेकिन धर्मकर्म से अलग यहां अपराध और अपराधियों की भी दुनिया बसती थी, इस पवित्र नगरी में चांद बाबा नाम के कुख्यात बदमाश का खौफ इस कदर फैला हुआ था कि लोग रात में बाहर निकलने से भी डरते थे, पुलिस के लिए चांद बाबा डर का दूसरा नाम था और इसलिए उसके गिरेवान पर हाथ डालने से पुलिस वाले हमेशा परहजे करते थे, पूरे इलाहाबाद में चांद बाबा का डर फैला हुआ था लेकिन कोई ऐसा भी था जो चांद बाबा को हराने के सपने देख रहा था, तांगे पर बैठकर इलाहाबाद की सड़कों पर निकलता छोटी सी उम्र का एक लड़का मन ही मन ये ठान चुका था कि चांद बाबा को हराकर इलाहाबाद का डॉन बनना है, ये लड़का कोई और नहीं बल्कि बाहुबली विधायक अतीक अहमद थे, जिनसे एक समय पूरे राज्य की पुलिस भी घबराती थी, अतीक अहमद की कहानी इलाहाबाद की इन्हीं गलियों से शुरू होती है ।
साल 1962 में एक तांगे वाले के परिवार में सबसे बड़े बेटे के रूप में एक लड़के का जन्म हुआ जिसका अतीक अहमद नाम रखा गया, पिता इलाहाबाद की सड़कों पर तांगा चलाते थे और परिवार का पेट भरते थे, अतीक के बाद उसके और भाई बहन भी हुए परिवार बढ़ने लगा और साथ ही उनकी बढ़ने भी बढ़ने लगी, जैसे जैसे अतीक बड़ा होने लगा, घर की गरीबी उसके दिमाग पर असर डालने लगी, वह अमीर बनने के सपने देखने लगा, पिता ने बच्चों को जैसे तैसे पढ़ाई के लिए स्कूल भेजा, लेकिन अतीक का मन तो कही और था वो पढ़ाई से जी चुराने लगा, अतीक को जल्द से जल्द अमीर बनना था दसवीं क्लास में फेल होने के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी और गुंडागर्दी में लग गया, उसका मकसद था इलाके के सबसे बड़े माफिया चांद बाबा को हराना, वो चांद बाबा जिसका उस समय इलाहाबाद में एक छत्र राज हुआ करता था, चांद बाबा के आंतक से कई छोटे गुंडे मवाली परेशान थए जैसे ही अतीक अहमद सामने आया उन सबने ने चांद बाबा के खिलाफ अतीक का साथ देना शुरू कर दिया, बड़ी ही तेजी से प्रयागराज में चांद बाबा के अलावा भी एक और नाम की गूंज सुनाई देने लगी वो नाम अतीक अहमद का ही था, अतीक अहमद पैसे कमाने के लिए पूरे शहर से रंगदारी वसूलने लगा, महज 17 साल की उम्र में अतीक अहमद पर हत्या का आरोप भी लगा लेकिन ये सब उसके हौसले पस्त नहीं कर रहे थे बल्कि और बढ़ा रहे थे ।
चांद बाबा गैंग से अक्सर अतीक अहमद गैंग के झगड़े की खबरें आने लगी, धीरे धीरे चांद बाबा का रुतबा कम हो रहा और अतीक अहमद का बढ़ रहा था, इलाहाबाद के इस नए गैंगस्टर की नज़र सिर्फ इलाहाबाद तक ही सीमित नहीं थी बल्कि ये तो पूरे राज्य में अपने आतंक का राज कायम करना चाहता था करीब दस सालों में ही अपराध की दुनिया में अतीक ने बड़ा नाम काम लिया, गरीब तांगे वाले के बेटे के पास अब पैसे की कोई कमी नहीं थी छोटी सी उम्र में ही अतीक पर अस्सी से ज्यादा हत्या, हत्या की साजिश, रंगदारी, धोखाधड़ी, आर्म्स एक्ट, जैसे कई मामले दर्ज हो चुके थे, उस समय के सभी गैंगस्टर्स के बीच अतीक की तूती बोलती थी, अतीक अहमद का साल 1989 आने तक बड़ा कद हो चुका था पुलिस भी अतीक अहमद के नाम से खौफ खाने लगी थी, कई बड़े नेताओं से भी अतीक अहमद का उठना बैठना था और इसलिए अतीक अहमद को ये समझ आने लगा कि पैसे के अलावा अगर पॉवर भी चाहिए तो सियासत के शतरंज में उतरना होगा, साल 1989 में ही अतीक अहमद ने निर्दलिय उम्मीदवार के रूप में इलाहाबाद से पहला चुनाव लड़ा था दूसरी तरफ चांद बाबा भी चुनावी संग्राम में थे लेकिन जीत अतीक अहमद को मिल गई ।
अब अतीक अहमद नेताजी बन चुके थे लेकिन सफेद कपड़ों में नज़र आने वाले इस माफिया के काम अब भी काले ही थे जीत के कुछ समय बाद ही चांद बाबा की सरे बाज़ार हत्या कर दी गई, आरोप अतीक अहमद पर थे लेकिन इस सबके बावजूद अतीक अहमद की ताकत बढ़ती जा रही थी, अतीक अहमद ने पहले तीन बार तो निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल किया, लेकिन साल 1996 में समाजवादी पार्टी ने उन्हें टिकट दे दिया जिसके बाद अतीक समाजवादी पार्टी के विधायक बन गये, सफेद कपड़ों में अतीक अहमद की शान ही अलग थी एक तरफ राजनीति का खेल चल रहा था दूसरी तरफ सट्टा, रंगदारी और भू माफिया का कारोबार फैलाने के आरोप बढ़ते जा रहे थे, करोड़ों रूपये की संपत्ति का मालिक बन चुके चकिया के इस लड़के को महंगी विदेशी गाड़िया खूब लुभाती थी, अतीक अहमद को हथियार रखने का भी शौक था और वो वक्त आ चुका था जब अतीक को अपने सारे शौक पूरे करने थे, जब भी अतीक का काफिला निकलता महंगी गाड़ियां उनके काफिले का हिस्सा होती थी, चार बार विधायक बन चुके अतीक अहमद के कब्जे में अरबों रूपये की ज़मीनें थी, साल 2004 में अतीक अहमद ने राजनीति में एक नई राह चुन लिया, इस दौरान अपना दल ने फूलपूर सीट से अतीक को सांसद का टिकट दिया और अतीक ने चुनाव जीत लिया अब प्रयागराज के माफिया ने संसद तक का सफर पूरा कर लिया था, तांगे में बैठकर जिन सपनों को अतीक ने देखा था वो पूरे हो रहे थे, लेकिन कहते हैं ना अगर अपराध के दलदल में कोई एक बार फंस गया तो बाहर निकलना नामुमिकन है और अतीक अहमद के साथ भी यही हुआ, साल 2004 में जब अतीक अहमद ने फूलपुर से सांसद के लिए चुनाव लड़ा तो उनकी इलाहाबाद की परम्परागत सीट खाली हो गई, अतीक ने अपने भाई अशरफ को यहां से चुनाव लड़वाया लेकिन अशरफ चुनाव हार गए ।
बीएसपी नेता राजू पाल ने अशरफ को मात दी और ये बात अतीक अहमद को पसंद नहीं आई, राजू पाल को चुनाव जीते अभी कुछ ही महीने बीते थे कि उनकी हत्या करवा दी गई, राजू पाल के काफिले पर अतीक अहमद गैंग ने जोरदार फायरिंग किया था राजू पाल को 19 गोलियों से छलनी कर दिया गया था, सिर्फ 10 दिन पहले ही राजू पाल की शादी हुई थी लेकिन अतीक अहमद को राजनीति में चैलेंज करना राजू पाल के लिए मौत का सबब बन गया था, राजू पाल की पत्नी पूजा ने अतीक अहमद और उसके भाई के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था उस वक्त राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार थी जिस वजह से अतीक अहमद पर कोई कार्यवाही नहीं हुई, अगली बार चुनाव में अतीक अहमद अपने भाई अशरफ को जीत दिलवाले में कामयाब हो गए लेकिन 2007 में बड़ा बदलाव हुआ और उत्तर प्रदेश में बसपा मुखिया मायावती की सरकार बन गई फिर अतीक अहमद के साथ साथ उनके गैंग के बुरे दिन शुरू हो गए ।
बीएसपी सरकार के आते ही अतीक अहमद को राज्य का मोस्ट वांटेड अपराधी घोषित किया गया इनाम भी जारी कर दिए गए, कुछ समय पहले तक उत्तर प्रदेश में अपना दबदबा बना रहे इस बाहुबली नेता को अब भगोड़ा अपराधी मान लिया गया, उस समय पुलिस अतीक के पीछे पड़ी हुई थी और आखिरकार दिल्ली से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया फिर यूपी की अलग अलग जेलों में वो बंद रहे, लेकिन एक बार फिर वक्त ने बदल लिया और 2014 में जब अखिलेश की सरकार आई तो अतीक अहमद को जमानत मिल गई, बाहर आने के बाद साल 2014 में अतीक अहमद ने श्रीवस्ती से चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं हुई, उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद तो जैसे सब कुछ एकदम बदल गया इसी दौरान एक व्यापारी की किडनैंपिंग और जेल में उसकी पिटाई का वीडियो वायरल हुआ, इस मामले में अतीक अहमद का नाम सामने आया और फिर गिरफ्तारी हुई, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अतीक अहमद को उत्तर प्रदेश से बाहर गुजरात की साबरमती जेल में भेजा गया ।
तब से इलाहाबाद के इस बाहुबली नेता को गुजरात की साबरमी जेल में ही बंद किया गया है अतीक अहमद के परिवार के दो और लोग भी जेल में हैं, अतीक के भाई अशरफ बरेली में बंद हैं जबकी छोटा बेटा नैनी जेल में सलाखों के पीछे है अतीक अहमद के बड़े बेटे को अभी कुछ समय पहले लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया है अतीक के परिवार के अलावा उनके सारे गुर्गों को भी जेल भेज दिया गया है, अतीक अहमद ने काले धंधे जो करोड़ों रूपये की जमीन हथियाई थी उसे भी लगातार कुर्क किया जा रहा है इलाहाबाद के अलावा राज्य के कई और इलाकों में भी अतीक अहमद की संपत्ती थी, उनके रिश्तेदारों के नाम पर भी कई प्रॉपर्टी थी जिनको सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया है, कई अवैध इमारतों को गिराया भी गया है जो जमीन कब्जे में ली गई है, उसपर आवासीय योजना के तहत मकान बनाए जा रहे हैं पिछले दो सालों में इस तरह की कई कार्यवाही की गई है अब तक कोर्ट के आदेश पर अतीक की 200 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति को जब्त किया गया है ।
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