Ticker

6/recent/ticker-posts

स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी 17 सालों से एक है पद पर तैनात, जेल जाने के बावजूद विभागीय संरक्षण...

ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह 

प्रयागराज : उत्तर प्रदेश सरकार जहां एक ओर भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्यवाही के दावे करती है, वहीं दूसरी ओर प्रयागराज से एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जो शासन की मंशा पर सवाल खड़े करता है। जिले में स्वास्थ्य विभाग के एक दबंग अधिकारी पंकज पांडे पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। हैरानी की बात यह है कि इन आरोपों और जेल जाने के बावजूद यह अधिकारी 17 वर्षों से एक ही पद पर तैनात है।

विजलेंस ने रंगे हाथों पकड़ा था, फिर भी मिली बहाली...

सूत्रों के मुताबिक, कोरोना काल के दौरान पंकज पांडे को घूस लेते हुए विजिलेंस टीम ने रंगे हाथ गिरफ्तार किया था और जेल भी भेजा गया था। इसके बावजूद उन्हें विभागीय अधिकारियों के सहयोग से पुनः उसी पद पर बहाल कर दिया गया, जिस पर वह वर्षों से तैनात थे। इतना ही नहीं, नियमों को ताक पर रखकर उन्हें जेल में रहते समय का वेतन भी पास कर दिया गया।

ऊंची पहुंच और विभागीय संरक्षण...

जानकारों का कहना है कि पंकज पांडे की ऊंची पहुंच का ही नतीजा है कि न सिर्फ उन्हें सज़ा के बाद भी बहाल किया गया, बल्कि अब उन्हें नर्सिंग होम पंजीकरण के लिए सहायक नोडल अधिकारी भी बना दिया गया है। जबकि विभागीय नियमों के अनुसार यह नियुक्ति पूरी तरह से असंगत और असंवैधानिक बताई जा रही है।

फर्जीवाड़े और अवैध वसूली के गंभीर आरोप...

स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी पंकज पांडे पर यह भी आरोप है कि वह पीसीपीएनडीटी एक्ट के नाम पर नर्सिंग होम और क्लिनिकों पर छापेमारी कर अवैध वसूली करता है। सूत्रों के अनुसार, सीएमओ ऑफिस में आने वाली डॉक्टरों की डिग्रियों की कॉपियाँ पंकज पांडे झोला छाप डॉक्टरों को पैसे लेकर बेच रहा है, जिससे वे फर्जी रजिस्ट्रेशन कर इलाज करते हैं।

महानिदेशक कार्यालय से भी जांच रिपोर्ट में 'क्लीन चिट' की तैयारी...

चौंकाने वाली बात यह भी सामने आ रही है कि महानिदेशक, परिवार कल्याण कार्यालय की ओर से जो जांच शुरू हुई थी, उसमें पंकज पांडे के पक्ष में रिपोर्ट तैयार की जा रही है। अब यह देखना होगा कि योगी सरकार इस मामले पर कब तक चुप्पी साधे रहती है या फिर भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी घोषित नीति के तहत कोई ठोस कार्यवाही करती है।

प्रश्न खड़ा करती है यह चुप्पी...

उक्त स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी का 17 वर्षों से एक ही पद पर बने रहना, घूस के मामले में जेल जाना और फिर भी उसी पद पर बहाल हो जाना यह सब न केवल विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है बल्कि शासन के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान को भी कठघरे में खड़ा करता है।



Post a Comment

0 Comments