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युवती के पेट से निकला 500 ग्राम बालों का गुच्छा, डॉक्टर राजीव सिंह ने किया सफल ऑपरेशन...

ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह 

प्रयागराज : जनपद में नारायण स्वरूप हॉस्पिटल से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जिसने न सिर्फ डॉक्टर्स को हैरान कर दिया बल्कि मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कौशांबी जिले की रहने वाली 21 वर्षीय मंजू (परिवर्तित नाम) के पेट से सर्जरी के दौरान करीब 500 ग्राम बालों का गुच्छा निकाला गया।

मानसिक तनाव से जन्मी आदत बन गई जानलेवा...

डॉक्टरों के मुताबिक मंजू को बचपन से बाल खाने की लत थी, जो एक मानसिक बीमारी 'ट्राइकोफैगिया (Trichophagia)' का लक्षण है। वह न सिर्फ अपने बाल खा जाती थी, बल्कि कई बार अपनी मां और बहनों के बाल भी खींचकर निगल जाती थी। शुरू में परिजनों ने इसे हल्के में लिया, लेकिन जब मंजू को पेट में लगातार दर्द, उल्टी और कमजोरी की शिकायत होने लगी, तो वे चिंतित हो उठे।

महीनों भटकने के बाद प्रयागराज में मिली राहत...

परिजन उसे लेकर कई अस्पतालों में गए, लेकिन कोई भी डॉक्टर उसकी बीमारी की जड़ तक नहीं पहुंच सका। अंततः उसे प्रयागराज के मुंडेरा स्थित नारायण स्वरूप हॉस्पिटल लाया गया, जहां निदेशक और वरिष्ठ लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. राजीव सिंह और उनकी टीम ने मंजू की गहन जांच की और तत्काल ऑपरेशन का फैसला लिया।

ऑपरेशन में निकला 1.5 फीट लंबा बालों का गुच्छा...

डॉक्टरों ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान मंजू के पेट से करीब 1.5 फीट लंबा और 10 सेंटीमीटर मोटा बालों का एक कठोर गुच्छा निकाला गया, जो ट्यूमर का रूप ले चुका था। यह सर्जरी करीब दो घंटे चली, जिसमें भोजन की थैली (स्टमक) को सावधानीपूर्वक खोला गया और बालों को बाहर निकाला गया।

अब ठीक हो रही है मंजू, मानसिक इलाज जारी...

ऑपरेशन के बाद मंजू की हालत अब पूरी तरह स्थिर है और वह सामान्य खाना खा रही है। इसके साथ ही अब वह मनोचिकित्सकों की देखरेख में मानसिक इलाज भी ले रही है। डॉक्टरों का कहना है कि यह केस बताता है कि मानसिक बीमारियों को नजरअंदाज करना जानलेवा हो सकता है।

डॉक्टरों की चेतावनी मानसिक स्वास्थ्य को दें प्राथमिकता...

डॉ. राजीव सिंह ने बताया ट्राइकोफैगिया जैसी स्थिति मानसिक तनाव का परिणाम होती है। यह केस हमारे लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था, लेकिन सही समय पर इलाज होने से मंजू की जान बच गई। यह घटना साबित करती है कि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को समान महत्व देना चाहिए।

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