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पूरामुफ्ती क्षेत्र में बढ़ रही डेंगू मरीजों की संख्या, लोगों के दिमाग में डेंगू जैसी घातक बीमारी का फैला डर...

ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह

प्रयागराज : जनपद में सदर तहसील अंतर्गत विकास खंड भगवतपुर के कई ग्रामीण क्षेत्रों में डेंगू जैसी घातक बीमारी ने पांव पसार लिया है बताया जा रहा है कि डेंगू से कई लोग ग्रसित हैं, ब्लाक क्षेत्र के पूरामुफ्ती, अकबरपुर सल्लाहपुर, बेगमपुर, सब्दरगंज, मीरापुर, फतेहपुर, मादपुर, मर्दापुर, जैसे कई गांवों में लोगों की डेंगू एवं प्लेटलेटस घटने की बिमारी से ग्रसित हैं, वहीं भगवतपुर स्वस्थ्य केन्द्र के डॉक्टर, कर्मचारी अनजान बनकर कुर्तियां तोड़ रहे हैं कहीं भी ग्राम पंचायतों में एंटीलारवा, टेनीफास्ट जैसी दवाओं का छिड़काव नहीं कर रहे है, जबकि जिलाधिकारी द्वारा बराबर लोगों से साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखने के लिए भी अपील की जा रही है, जिम्मेदारों को व्यवस्थाओं को पूर्ण कराने के निर्देश भी दिए गए हैं, लेकिन स्वास्थ्य कर्मी और ब्लाक के जिम्मेदारों द्वारा लापरवाही बरती जा रही है, स्वास्थ्य विभाग को अब और सतर्क होना बेहद जरूरी हो चुका है नहीं तो अगर ऐसा ही रहा तो डेंगू से और कई मौतें हो सकती हैं डेंगू जैसी घातक बीमारी अब लोगों के अंदर डर का माहोल बनाने लगी है लोग घरों के अंदर रहने को मजबूर हो रहे हैं ।


डेंगू एक वायरल बिमारी है जो एक खास प्रजाति के मच्छर के काटने से फैलती है, डेंगू वायरस मुख्य रूप से एडीज एजिप्टी प्रजाति के मादा मच्छरों द्वारा फैलता है और कुछ हद तक एई अल्बोपिक्टस से भी, ये मच्छर चिकनगुनिया, येलो फीवर और जीका वायरस के भी वाहक हैं, डेंगू को हड्डी तोड़ बुखार भी कहते है क्योकिं इसमे हड्डी टूटने जैसा दर्द होता है और कई दिनो तक रहता है, कम फीसदी मे डेंगू बुखार वाले लोगों को डेंगू रक्तस्रावी बुखार नामक बीमारी का एक अधिक गंभीर रूप विकसित कर सकता है, सीडीसी के मुताबिक, डेंगू दुनिया भर के 100 से अधिक देशों में समान्य है, दुनिया की चालीस प्रतिशत आबादी, लगभग 3 अरब लोग, डेंगू के जोखिम वाले क्षेत्रों में रहते हैं, जोखिम वाले क्षेत्रों में डेंगू अक्सर बीमारी का एक प्रमुख कारण होता है, गंभीर डेंगू कुछ एशियाई और लैटिन अमेरिकी देशों में गंभीर बीमारी और मृत्यु का एक प्रमुख कारण है इसके लिए चिकित्सा पेशेवरों द्वारा प्रबंधन की ज़रूरत होती है, डेंगू के लिए कोई खास इलाज नहीं है गंभीर डेंगू से जुड़े रोग की प्रगति का जल्दी पता लगाना, और सही चिकित्सा देखभाल तक पहुंच गंभीर डेंगू की मृत्यु दर को 1 फीसदी से कम कर देती है ।

डेंगू मच्‍छर वर्षा ऋतु के दौरान बहुतायत से पाये जाते हैं। यह मच्‍छर प्रायः घरों स्‍कूलों और अन्‍य भवनों में तथा इनके आस-पास एकत्रित खुले एवं साफ पानी में अण्‍डे देते हैं, इनके शरीर पर सफेद और काली पट्टी होती है इसलिए इनको टाइग्‍र चीता मच्‍छर भी कहते हैं, यह मच्‍छर निडर होता है और ज्‍यादातर दिन के समय ही काटता है, डेंगू एक विषाणुसे होने वाली बीमारी है जो एडीज एजिप्‍टी नामक संक्रमित मादा मच्‍छर के काटने से फेलती है डेंगू एक तरह का वायरल बुखार है ।
डेंगू होने के लक्षणों में साधारण डेंगू होने पर इसके मरीज का 2 से 7 दिवस तक तेज बुखार चढता है एवं इसके साथ निम्‍न में से दो या अधिक लक्षण भी साथ में होते हैं जैसे अचानक तेज बुखार, सिर में आगे की और तेज दर्द, आंखों के पीछे दर्द और आंखों के हिलने  से दर्द में और तेजी, मांसपेशियों बदन और जोडों में दर्द,  स्‍वाद का पता नहीं चलना, भूख नहीं लगना, छाती और ऊपरी अंगो पर खसरे जैसे दानें, चक्‍कर आना, जी घबराना उल्‍टी आना, शरीर पर खून के चकते एवं खून की सफेद कोशिकाओं की कमी, बच्‍चों में डेंगू बुखार के लक्षण बड़ की तुलना में हल्‍के होते हैं, रक्‍त स्‍त्राव वाला डेंग्‍यू डेंग्‍यू हमरेजिक बुखार DHS, खून बहने वाले डेंग्‍यू बुखार के लक्षण और आघात रक्‍त स्‍त्राव वाला डेंग्‍यू में पाये जाने वाले लक्षणों के अतिरिक्‍त निम्‍न लक्षण पाये जाते हैं, शरीर की चमड़ी पीली तथा ठन्‍डी पड जाना, नाक, मुंह और मसूडों से खून बहना, प्‍लेटलेट कोशिकाओं की संख्‍या 1,00,000 या इससें कम हो जाना, फेंफडों एवं पेट में पानी इकट्ठा हो जाना, चमडी में घाव पड़ जाना, बैचेनी रहना व लगातार कराहना, प्‍यास ज्‍यादा लगना गला सूख जाना, खून वाली या बिना खून वाली उल्‍टी आना, सांस लेने में तकलीफ होना, डेंग्‍यू शॉक सिन्‍ड्रोम DSS के लक्षण है ।

ऊपर दिये गये लक्षणों के अलावा अगर मरीज में परिसंचारी खराबी के लक्षण दिखे जैसे नब्‍ज का कमजोर होना, तेजी से चलना, रक्‍तचाप का कम हो जाना, त्‍वचा का ठ्न्‍डा पड जाना, मरीज को बहुत अधिक बेचैनी महसुस करना, पेट में तेज, लगातार दर्द, मरीज को आराम की सलाह दें, पैरासिटामोल की गोली 24 घन्‍टे में चार बार से अधिक नहीं, उम्र के अनुसार तेज बुखार होने पर देवें, एस्‍प्रीन और आईबुप्रोफेन नहीं दी जावे, एन्‍टीबायटिक्‍स नहीं दी जायें क्‍योंकि वो इस बीमारी में व्‍यर्थ है, मरीज को ओआरएस दिया जावें, भूख के अनुसार पर्याप्‍त मात्रा में भोजन दिया जावें, साधारणतया डेंग्‍यू बुखार के मरीज को ठीक होने के 2 दिवस उपरान्‍त तक जटिलताऐं देखी गई है प्रप्‍येक डेंग्‍यू बुखार के रोगी के बुखार ठीक होने के दो दिन के बाद तक निगरानी रखी जावें डेंग्‍यू बुखार से ठीक होने पर मरीज एवं उसके परिजनों का निम्‍न लक्षणों के उभरने पर विशेष ध्‍यान देने हेतु सलाह दी जावे जैसे पेट में तेज दर्द, काले रंग का मल आना, मसूडो, त्‍वचा, नाक से खून रिसना, चमडी का ठन्‍डा पड जाना एवं ज्‍यादा पसीना आना, ऐसी स्थिति में मरीज को तुरन्‍त अस्‍पताल में भर्ती होने की राय देना चाहिए, डेंग्‍यू हेमरेजिक बुखार यानी DHS डेंग्‍यू शॉक सिन्‍ड्रोम DSS के मरीजों को उपचार हेतु हिदायत में उक्‍त मरीज को प्रत्‍येक घन्‍टे में सम्‍भाला जावे, खून में प्‍लेटलेट की कमी होना 100000 अथवा कम एवं खून में हिमोटोक्रिट का बढ़न इस अवस्‍था की और इंगित करता है, समय रहते आईवी थैरपी IV, Crystalloids मरीज को शॉक से उबार सकती है, अगर 20 ml/Kh/hr एक घण्‍टें में आईवी Saline solution के देने पर भी मरीज की दशा में सुधार नहीं होता है डैक्‍सट्रोन या प्‍लाजमा दिया जाना चाहिये, अगर Hematocrit में गिरावट आती है तो ताजा खून दिया जाना चाहिए शॉक में आक्‍सीजन दी जावें ऐसिडोसिस में सोडा बाईकार्ब दिया जावे, चिकित्सक की सलाह के अनुसार बुखार में एस्‍प्रीन और आईबुप्रोफेन नहीं दी जावे, एन्‍टीबायटिक्‍स नहीं दी जायें क्‍योंकि वे इस बीमारी में व्‍यर्थ है, मरीज को खून नही देवे जब तक की आवश्‍यकता न हो, अत्‍यधिक रक्‍त स्‍त्राव हमोटोक्रिट का कम होना 20%, Steroid नहीं दिये जावे, DSS, DHF मरीज के पेट में नली नहीं डालना चाहिए ।

इस घातक बीमारी से बचने के साधारण के उपाय हैं जिन्हें अमल में लाकर डेंगू जैसी घातक बीमारी से बचा जा सकता है, छोटे डिब्‍बो, ऐसे स्‍थानो से पानी निकाले जहां पानी बराबर भरा रहता है, कूलरों का पानी सप्‍ताह में एक बार अवश्‍य बदले, घर में कीट नाशक दवायें छिडके, बच्‍चों को ऐसे कपडे पहनाये जिससे उनके हाथ पांव पूरी तरह से ढके रहे, सोते समय मच्‍छरदानी का प्रयोग करें, मच्‍छर भगाने वाली दवाईयों, वस्‍तुओं का प्रयोग करें, टंकियों तथा बर्तनों को ढककर रखें, सरकार के स्‍तर पर किये जाने वाले कीटनाशक छिडकाव में सहयोग करें, आवश्‍यकता होने पर जले हूये तेल या मिट्टी के तेल को नालियों में तथा इक्कट्ठे हुये पानी पर डाले, रोगी को उपचार हेतु तुरन्‍त निकट के अस्‍पताल, स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र में ले जावे, यह प्रभावी तरीके हैं इन के माध्यम से मरीज की जान बचाई जा सकती है ।

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