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प्रसव के दौरान बच्चे की हुई मौत, मां की हालत बनी गंभीर, परिजनों ने राज हॉस्पिटल में किया था भर्ती...

रिपोर्ट-रामबाबू गुप्ता 

कौशाम्बी : जनपद में चायल तहसील अंतर्गत तिल्हापुर मोड़ बाजार के समीप स्थित राज हॉस्पिटल में प्रसव के दौरान एक बच्चे की मौत होने का मामला सामने आया है जिसमें जच्चा बच्चा के परिजनों ने हॉस्पिटल के संचालक पर इलाज में लापरवाही करने का आरोप लगाया है, राज हॉस्पिटल के नाम से चलने वाली अस्पताल काफी दिनों से चर्चा का केंद्र बनी हुई है यहां पर अक्सर मरीजों की हालत इलाज के दौरान बिगड़ती रहती है, आपको बतादें कि तिल्हापुर मोड़ स्थित राज हॉस्पिटल में मंगलवार को पिपरहाई निवासी कृष्णा सिंह पत्नी दिपील को प्रसव पीड़ा होने के दौरान तिल्हापुर मोड़ के राज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया ।


जहां पर उसको नॉर्मल डिलीवरी का झांसा देकर डॉक्टरों ने भर्ती कर लिया और महिला की नार्मल डिलीवरी कराने के दौरान बच्चे की मौत हो गई, अब भी महिला की हालत गंभीर बनी हुई है, महिला के परिजनों ने हंगामा करते हुए गंभीर आरोप लगाया कि डॉक्टर की लापरवाही के वजह से बच्चे की मौत हुई है, वही आप आसपास के लोगों का कहना है कि हंगामा काटने के बाद परिजनों से डॉक्टर ने लेनदेन करके सुलह समझौता कर लिया है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का ना तो ऐसी खबरों से कोई लेना-देना है ना ही क्षेत्र में फर्जी दस्तावेज लगाकर चलने वाली हॉस्पिटलों से कोई लेना-देना है उन्हें तो सिर्फ महीने में मिल रही मोटी रकम से मतलब है ।

गौरतलब है कि पूरे जिले में इलाज को लेकर निजी नर्सिंग होमों में ठगी का बड़ा आलम है अकेले चायल क्षेत्र की बात करें तो सैकड़ों से अधिक नर्सिंग होम यहां संचालित हैं, वह बात अलग है कि रजिस्ट्रेशन सीएमओ कार्यालय से है या फिर नहीं है भी तो क्लीनिक मतलब पूछताछ केंद्र का, या फिर पॉली क्लीनिक का या फिर नर्सिंग होम का, लेकिन कुछ भी हो रजिस्ट्रेशन के विषय में जिले का विभाग कितना जांच पड़ताल करता है यह तो स्पष्ट नहीं किया जा सकता, लेकिन इतना जरूर है कि इन अस्पतालों के बाहर लगे बोर्ड जरूर मरीज के तीमारदारों को इंट्री लेने के लिए विवश कर देते हैं ।

वह बात अलग है कि बोर्ड में लिखे डाक्टर साहब अंदर मिलेंगे या फिर वह सिर्फ बोर्ड तक में ही सीमित है जबकि इलाज कोई झोलाछाप ही करेगा, खैर यह सब किसके रहमों करम पर हो रहा है यह जांच का बड़ा विषय है, क्षेत्र की चर्चाओं पर जाएं तो इस अस्पताल के बाहर लगे बोर्ड में भी बड़े बड़े डॉक्टर साहबों का नाम भी लिखा हुआ है, लेकिन अंदर का रहस्य आपको तब पता चलेगा जब आप अपने गंभीर मरीज को इलाज के लिए यहां भर्ती करा देंगे, फिर शुरू होगा धनादोहन अब यदि मरीज ठीक हो गया तो बेहतर है, और यदि गंभीर हो गया तो फिर आपको किसी और बड़ी अस्पताल का पता बता देंगे, इतना ही नहीं यदि आप उनके बताए गए अस्पताल में पहुंचे तो फिर वहाँ भी इनका कमीशन फाइनल हो जाता है, सबसे बड़ी बात इन क्लीनिकों और नर्सिंग होमों में एनम, जेनम का बिना कोर्स किए रखी गई लड़कियों के भरोसे प्रसव एवं एबार्शन की जिम्मेदारी होती है ।

इसमें मोटी रकम की कमाई भी होती है अब सवाल इस बात का उठ रहा है कि कमाई के बाद हिस्सा विभागीय बाबुओं, अफसरों को जाता है या फिर नहीं लेकिन जिस तरह से खुलेआम ठगी का यह आलम चल रहा है और इनकी तरफ कोई जिम्मेदार कार्यवाही भरी निगाह से नहीं देख रहा, उससे इलाकाई बुद्धिजीवियों के जुबां में यह चर्चा जरूर सुनने को मिलती है, लेकिन जिस तरह से तिल्हापुर मोड़ में इलाज के नाम पर ज्यादातर निजी अस्पतालों में ठगी का आलम है, उससे कहीं ना कहीं गरीब जनता हैरान परेशान जरूर है अब यदि क्षेत्रीय बुद्धिजीवियों की मानें तो लोगों ने जिलाधिकारी का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए संचालित निजी नर्सिंग होमों की हकीकत की जांच कराकर दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही कराए जाने की मांग की है ।

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