ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह
कौशाम्बी : जनपद में इन दिनों चरवा थाना थानेदार के कारनामों से सुर्खियां बटोर रहा है चरवा थानेदार के नए-नए कारनामे सामने आ रहे हैं जो पुलिस की स्वच्छ छवि को धूमिल कर रहा है, ऐसा ही एक मामला चरवा थाना क्षेत्र के एक आईजीआरएस के माध्यम से किए गए शिकायती पत्र से सामने आया है जिसमें चरवा पुलिस ने मामले को झूठा साबित करने के लिए जेल में बंद व्यक्ति को बकायदा मोबाइल नंबर के साथ गवाह बना दिया है वहीं दूसरे गवाह में उसके पिता का नाम दर्शा दिया है जो गैर जनपद में मजदूरी कर रहा है ।
पुलिस के इस कारनामे से साफ जाहिर हो रहा है कि किस कदर चरवा पुलिस बेलगाम हो गई है उसे उच्चाधिकारियों का कोई खौफ नहीं रहा है एक तरफ अधिकारी बराबर निर्देशित करते रहते हैं कि आईजीआरएस का निस्तारण जल्द किया जाए और उसमें कोई झूठी रिपोर्ट न लगाई जाए लेकिन चरवा पुलिस ने इस मामले में सबसे अव्वल दर्जा हासिल कर लिया है ।
आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले जैगम हलीम पत्रकार ने चरवा थाना में एक रिपोर्ट दर्ज कराई थी जिसमें दर्शाया था कि रात को घर जाते समय महगांव चौकी क्षेत्र में कुछ अज्ञात लोगों ने उन्हें रोककर तमंचा दिखाते हुए गाली गलौज और जान से मार डालने की धमकी दिया था, इस मामले से पहले आरोपी का धमकी भरा ऑडियो उनके पास मौजूद था, पत्रकार की शिकायत पर मामला दर्ज करने के बाद चरवा पुलिस के थानेदार अरविंद कुमार द्विवेदी और चौकी इंचार्ज वीर प्रताप सिंह ने आरोपी से सांठगांठ बना लिया, मामले के प्रति थानेदार की शिथिलता को देखते हुए पीड़ित पत्रकार ने पूरे मामले की शिकायत आईजीआरएस के माध्यम से किया, जब शिकायती पत्र संख्या 40017421011195 क्षेत्राधिकारी चायल को कार्यवाही के लिए प्रेषित हुआ तो क्षेत्राधिकारी द्वारा चरवा पुलिस से मांगी गई आख्या में चरवा पुलिस ने रिपोर्ट लगाई कि पत्रकार द्वारा लगाया गया आरोप और घटना असत्य है, जिसमें गवाह के तौर पर दो व्यक्तियों का नाम भी दर्शा दिया जो थाना क्षेत्र के चरवा गांव के रहने वाले हैं जबकि घटना का स्थान महगांव चौकी क्षेत्र का है, चरवा पुलिस द्वारा आईजीआरएस की आंख्या में दर्शाए गये गवाह सुरेश कुमार दुराचार के मामले में 2020 के मार्च महीने से ही जेल में बंद है, वहीं उसका पिता प्रेमचंद गैर जनपद में मजदूरी कर रहा है, आख्या में गवाहों के दिए गये मोबाइल नंबरों पर संपर्क करने पर यह सारा राज और चरवा पुलिस की लीपा पोती खुल कर सामने आ गई है जो जांच का विषय है, गवाह प्रेमचंद ने बताया कि उसे इस मामले के बारे में कुछ पता नहीं है वह गैर जनपद में कार्य कर रहा है दूसरे गवाह में जिस व्यक्ति का नाम डाला गया है वह उसका लड़का है और दुराचार के मामले में मार्च महीने से जेल में बंद है, फिलहाल चरवा पुलिस के इस कारनामे से साफ जाहिर हो रहा है कि किस प्रकार चरवा पुलिस खेल खेल रही है, आईजीआरएस जैसी शिकायतों को महज खानापूर्ति का दर्जा दे रही है जिसमें जो चाहो लिख दो, जिसे चाहे उसे गवाह बना दो, चाहे वह जिंदा हो या मुर्दा हो, वह जेल में बंद हो या लंदन में हो, यानी आईजीआरएस में चरवा पुलिस का कुछ भी करना लिखना बाएं हाथ का खेल है, पीड़ित पत्रकार का आरोप है कि कुछ दिनों पहले उसने महगांव चौकी की लापरवाह कार्यशैली की खबर चलाई थी उसी खबर से बौखला कर चरवा थानेदार उसके खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं और उसके द्वारा दर्ज कराए गये मामले को रफा दफा करने का ठेका आरोपी से ले लिया है, पीड़ित पत्रकार ने एडीजी जोन प्रयागराज का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराकर थानेदार पर कार्यवाही कराने की मांग किया है ।
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