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छात्रों, कर्मचारियों, मज़दूरों पर उदारीकरण, निजीकरण का टूटता कहर और प्रतिरोध की दिशा के विषय पर विचार गोष्ठी का हुआ आयोजन...

रिपोर्ट-सोमराज वर्मा


प्रयागराज : जनपद में 28 अगस्त को दिशा छात्र संगठन और बिगुल मज़दूर दस्ता की ओर से इलाहाबाद के श्रम हितकारी केन्द्र में ‘छात्रों-कर्मचारियों-मज़दूरों पर उदारीकरण निजीकरण का टूटता कहर और प्रतिरोध की दिशा’ विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया, विचार गोष्ठी की शुरुआत क्रान्तिकारी गीत ‘तस्वीर बदल दो दुनिया की’ से की गयी, गोष्ठी में बात रखते हुए मुख्य वक्ता प्रसेन ने कहा कि उदारीकरण निजीकरण की नीतियों के पिछले तीन दशक देश की आम जनता के ऊपर कहर बनकर टूटे हैं, एक तरफ़ जहाँ इन नीतियों के तहत शिक्षा और चिकित्सा जैसी जनता की बुनियादी ज़रूरतों को पैसों के तालों में क़ैद कर दिया गया है, वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों से पेंशन जैसी सुविधाएं छीन कर उन्हें सामाजिक सुरक्षा से वंचित कर दिया गया है, वित्तीय घाटे को पूरा करने का हवाला देकर मोदी सरकार ने इस साल सरकारी कम्पनियों को बेचकर 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने की घोषणा बजट में ही कर दी थी। अभी हाल ही में मोदी सरकार द्वारा अगले चार सालों सरकारी सम्पत्तियों का मौद्रीकरण करके 6 लाख करोड़ रुपये जुटाने की घोषणा कर दी गयी है।क्ष, वास्तव में मौद्रीकरण का मतलब जनता के खून-पसीने की कमाई से खड़े किये गये सरकारी विभागों और सम्पत्तियों को औने-पौने दामों पर बड़े कॉरपोरेट घरानों को सौंपने की योजना है, जिसके तहत सड़क, रेलवे, बिजली, बीएसएनएल एमटीएनएल, सरकारी गोदामों, कॉलोनियों, स्टेडियमों तक को प्राइवेट हाथों में बेचने का ख़ाका तैयार कर लिया गया है, प्रसेन ने कहा कि आज के समय में उद्योगपतियों के मुनाफ़े की दर लगातार गिरती चली जा रही है, मुनाफ़े की हवस को पूरा करने के लिए एक तरफ़ तो देश की मेहनतकश आबादी की सारी सुविधाएं छीन कर उनकी तिजोरी भरी जा रही है, दूसरी ओर तमाम सरकारी विभागों को विभागों को उनके मुनाफ़े की हवस की भेंट चढ़ाया जा रहा है, सार्वजनिक क्षेत्रों के दस बैंकों का चार बड़े बैंकों में विलय इसीलिए किया गया है ताकि बड़ी पूँजी के ज़रिए एनपीए होने के बावज़ूद इन बैंकों से बड़े कॉरपोरेट घराने को कर्ज़ दिया जा सके, इस स्थिति के खिलाफ़ अन्य चुनावबाज़ पार्टियाँ और उनसे जुड़ी ट्रेड यूनियनें कभी भी इसके खिलाफ़ फ़ैसलाकुन लड़ाई नहीं लड़ सकतीं क्योंकि पिछले सत्ता में रहने पर इन पार्टियों ने भी इन्हीं नीतियों को लागू करने का काम किया है, आज देश के सभी छात्रों-युवाओं, संगठित-असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों मज़दूरों को अपनी व्यापक एकजुटता बनाते हुए इन नीतियों के खिलाफ़ प्रतिरोध संगठित करने की ज़रूरत है, दिशा छात्र संगठन के अविनाश निजीकरण की नीतियों का छात्रों-युवाओं पर असर तथा शिक्षा और रोज़गार के संकट पर बात रखी, गोष्ठी में कर्मचारी नेता आर.पी. कैथल, अविनाश मिश्र समेत विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों ने भी बात रखी। गोष्ठी की अध्यक्षता कर्मचारी नेता अजय भारती तथा संचालन अमित ने किया, विचार गोष्ठी में धर्मराज, अम्बरीश, अंशुरीश, अंजलि, सौम्या, चन्द्रप्रकाश, अनवर, मोनिस, विजय, अजीत, रजनीश, विकास, शिवा, नीशू, संजय, सुनील आदि शामिल रहे ।

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