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जाने क्यों माना जाता है शिवरात्रि का त्यौहार सबसे खास, इस बार 2022 में शिवरात्रि के दिन बन रहा है पंचग्रही योग...

रिपोर्ट-न्यज़ एजेंसी

लखनऊ : शिवरात्रि का त्यौहार इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है, फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाने वाली महाशिवरात्रि इस बार 1 मार्च 2022 मंगलवार के दिन पड़ रही है, भगवान शिव के भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का पर्व साल का सबसे बड़ा त्योहार है। जिसे शिव भक्त सदियों से पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ मनाते आए हैं, इस बार महाशिवरात्रि बेहद खास है क्योंकि इस बार शिवरात्रि के दिन पंचग्रही योग बन रहा है। ऐसा माना जाता है कि अगर इन शुभ संयोग में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ की जाए तो भगवान भोलेनाथ हर मनोकामना को पूरा करते हैं, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार की महाशिवरात्रि पर धनिष्ठा नक्षत्र में परिघ योग रहेगा, इसके बाद धनिष्ठा के बाद शतभिषा नक्षत्र रहेगा, इसके अलावा परिघ योग और शिव योग भी बनते दिखाई दे रहे हैं ऐसा माना जाता है कि ये योग शत्रु पर विजय दिलाने में बहुत अहम होते हैं साथ ही इस दिन की गई भगवान शिव की पूजा का कई गुना ज्यादा फल मिलता है, इस बार महाशिवरात्रि पर मकर राशि में पंचग्रही योग भी बनता दिखाई दे रहा है इस दिन मंगल, शनि, बुध, शुक्र और चंद्रमा एक ही भाव मे रहेंगे, लग्न में कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति रहेगी, राहु वृषभ राशि जबकि केतु दसवें भाव में वृश्चिक राशि में रहेगा, इस प्रकार ग्रहों की स्थिति अत्यंत दुर्लभ एवं लाभकारी है, पूजा, मुहूर्त और विधि इस प्रकार है, महाशिवरात्रि का पूजा मुहूर्त 1 मार्च सुबह 11:45 से दोपहर 12:34 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा, इसके बाद दोपहर 2:07 से 2:53 तक विजय मुहूर्त रहेगा, फिर शाम को 5:48 से 6:12 तक गोधूलि मुहूर्त रहेगा, किसी भी प्रकार की पूजा या शुभ कार्य करने के लिए अभिजीत और विजय मुहूर्त को श्रेष्ठतम माना जाता है, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करें। साथ ही उन्हें चंदन का तिलक लगाएं बेलपत्र, भांग, धतूरे, गन्ना, जायफल, कमलगट्टे, फल, मिष्ठान, मीठा पान और वस्त्र अर्पित करें, शिवजी के सम्मुख दीप जलाएं और केसर युक्त खीर का भोग लगाकर भगवान शिव की स्तुति करें, महाशिवरात्रि का दिन क्यों है बहुत खास यह जानते हैं एक समय था जब भारतीय संस्कृति में 365 त्योहार हुआ करते थे दूसरे शब्दों में हर दिन उत्सव मनाने के लिए उन्हें बस एक बहाने की जरूरत होती थी जीवन के अलग-अलग उद्देश्यों को लेकर ये 365 त्योहार मनाए जाते थे लेकिन महाशिवरात्रि का अपना अलग ही महत्व है, कृष्ण पक्ष में हरेक चंद्र मास का चौदहवां दिन या अमावस्या से एक दिन पूर्व शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है, एक पंचांग वर्ष में होने वाली सभी बारह शिवरात्रियों में से महाशिवरात्रि जो फरवरी-मार्च के महीने में आती है, सबसे अधिक महत्वपूर्ण मानी गई है, इस रात्रि में इस ग्रह के उत्तरी गोलार्ध की दशा कुछ ऐसी होती है कि मानव शरीर में प्राकृतिक रूप से ऊर्जा ऊपर की ओर चढ़ती है, यह एक ऐसा दिन होता है जब प्रकृति व्यक्ति को उसके आध्यात्मिक शिखर की ओर ढकेल रही होती है इसका उपयोग करने के लिए इस परंपरा में हमने एक खास त्योहार बनाया है जो पूरी रात मनाया जाता है पूरी रात मनाए जाने वाले इस त्योहार का मूल मकसद यह निश्चित करना है कि ऊर्जाओं का यह प्राकृतिक चढ़ाव या उतार अपना रास्ता पा सके, वे लोग जो अध्यात्म मार्ग पर हैं उनके लिए महाशिवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण है योग परंपरा में शिव की पूजा ईश्वर के रूप में नहीं की जाती बल्कि उन्हें आदि गुरु माना जाता है, वे प्रथम गुरु हैं जिनसे ज्ञान की उत्पति हुई थी, कई हजार वर्षों तक ध्यान में रहने के पश्चात एक दिन वे पूर्णतः शांत हो गए, वह दिन महाशिवरात्रि का है उनके अंदर कोई गति नहीं रह गई और वे पूर्णतः निश्चल हो गए, इसलिए तपस्वी महाशिवरात्रि को निश्चलता के दिन के रूप में मनाते हैं, पौराणिक कथाओं के अलावा योग परंपरा में इस दिन और इस रात को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि महाशिवरात्रि एक तपस्वी और जिज्ञासु के समक्ष कई संभावनाएं प्रस्तुत करती है, आधुनिक विज्ञान कई अवस्थाओं से गुजरने के बाद आज एक ऐसे बिंदु पर पहुंचा है जहां वे यह सिद्ध कर रहे हैं कि हर चीज जिसे आप जीवन के रूप में जानते हैं, वह सिर्फ एक ऊर्जा ही है जो स्वयं को लाखों करोड़ों रूप में व्यक्त करती है ।

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