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गोकुल में आज खेली गई छड़ी मार होली, दूर दराज देश विदेशी श्रद्धालु पहुंचे गोकुल, कन्हैया जी का निकाला गया डोला...

रिपोर्ट- ईश्वर दीन साहू


मथुरा : भगवान श्री कृष्ण ने जिस गांव में अपने बचपन की लीलाएं की थी, उस गांव में गोकुल में द्वापर युग की दिव्य होली को हर वर्ष जीवंत किया जाता है। देश-विदेश से श्रद्धालु भगवान द्वारा बचपन में खेली गई, होली के दर्शन करने के लिए आतुर रहते हैं। गोकुल का आसमान रंग और अबीर गुलाल से रंगा जाता है, श्रद्धालुओं के चेहरे भी नीले पीले लाल हो जाते हैं, सभी एक दूसरे पर अबीर गुलाल डाल रहे हैं, जैसे ही भगवान का डोला स्वरूप मुरलीधर घाट पर पहुंचे, तो होली की धूम हो जाती है। श्री कृष्ण के बाल स्वरूप पर गोपियों ने छड़ियां बरसाना शुरू कर दिया, सभी छड़ी मार होली की मस्ती में सरोवर हो गए। नंद किला मंदिर से मुरली घाट तक शोभायात्रा निकाली गई. आगे-आगे कान्हा की पालकी और पीछे-पीछे सुंदर वस्त्र पहने हुए हाथों में छड़ी लेकर चलती गोपियां के साथ बैंड बाजों के साथ निकाली गई, भगवान की शोभायात्रा, कुछ देर मुरली घाट पर विश्राम किया जिसके बाद होली की धूम शुरू हो गई। और जमकर होली का श्रद्धालुओ ने लुफ्त उठाया।गोकुल की छड़ी मार होली भगवान श्री कृष्ण के बचपन में खेली गई होली का जीवंत है, ब्रज कई जगह लट्ठमार होली का आयोजन किया जाता है।लेकिन यहां गोपियों के हाथ में लठ्ठ नहीं छड़ी दिखाई देती ह।और उसी छड़ी से वह कृष्ण के सखाओ के ऊपर जमकर बारिश की जाती है, गोकुल में जिस समय भगवान श्री कृष्ण ने होली खेली थी तो उनकी आयु बहुत कम थी श्रीकृष्ण को चोट ना लग जाए इसलिए सखियां हाथों में छड़ी लेकर उनको मारती है, जब से ही छड़ी मार होली की परंपरा चली आ रही है।

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