रिपोर्ट- ईश्वर दीन साहू
मथुरा : मथुरा श्री कृष्ण जन्म स्थान में श्रद्धालुओं का ताता लगा हुआ था, दीप प्रज्वलित कर भगवान की आरती उतारकर होली के कार्यक्रम की शुरुआत की गई। प्रकर्ति के इस आलोकिक बसंत उत्सव में होली का विशेष महत्व है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि होली की शुरुआत द्वापर युग में श्री कृष्ण के हाथों हुई और तब से ही ब्रज में होली का विशेष महत्व है/ब्रज में होली का हुल्लड़ बसंत पंचमी से शुरू होकर लगभग 40 दिनों तक चलता है, कहा जाता है की बरसाना और नंदगाँव होली खेलने के बाद भगवान आज यानि रंग भरी एकादशी के दिन मथुरा में होली खेलने आये थे। होली के इस पावन अवसर पर जन्मस्थान लीला मंच पर राधा कृष्ण स्वरूपों द्वारा लीला का मंचन किया गया, जिसमें मथुरा के हुरियारे और हुरियारिनों ने लोक गीतों पर जमकर ठुमके लगाए ,फिर वहां चाहे ब्रज का प्रसिद मयूर नृत्य हो या फिर गागर, जेयर, या फिर हो चरकुला नृत्य इस मनमोहक प्रस्तुति को देख कर वहां उपस्थित श्रद्धालु मंत्र मुग्ध हो गए और सभी नाचते गाते हुए प्रिया प्रीतम रंग में रंग गए। मंच पर उपस्थित राधा कृष्ण के स्वरूपों ने जैसे ही श्रधालुओं पर फूलों की वर्षा की तो बस मंच पर खड़ी हुरियारिन अपने आप रोक न सकीं और हुरियारों पर जम कर प्रेम में पगी लाठियों की वर्षा करने लगी, जन्मस्थान पर खेली गयी इस आलोकिक होली में भाग लेकर प्रत्येक श्रद्धालु अपने आप को धन्य मान रहा था, ब्रज की होली का महत्व ही ऐसा है , कि जो भी एक बार यहाँ आकर होली को देख या खेल ले जीवन भर नहीं भूलता है।
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