ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह
तालाब के चारों तरफ बनी मोटी मोटी दीवारे गिर कर ढह गई है, जिससे तालाब का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है, काजीपुर के और इसके आसपास के गांव के लोगों का कहना है कि कुछ समय पहले तालाब की स्थिति इतनी खराब नहीं थी इसमें बराबर स्वच्छ जल भरा रहता था, आसपास के लोग इसमें स्नान करते थे और भूखे प्यासे जानवर अपनी प्यास बुझाते थे, तालाब के बाहर बनी इमारतों में पत्थर जड़े हुए थे जिन पर 1820 ईसवी में इसके निर्माण की बात लिखी गई थी लेकिन अब सब समय की मार के चलते नष्ट हो गया है ।
इस तालाब का निर्माण कब और किसने करवाया था इसके बारे में ठीक ठाक सटीक जानकारी किसी भी व्यक्ति के पास नहीं है, पुरातत्व विभाग ने भी इस तालाब को नजरअंदाज कर रखा है, ग्राम पंचायत काजीपुर के जिम्मेदार भी इसकी ओर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं, रखरखाव और मरम्मतीकरण का कार्य ना होने से तालाब में बड़ी बड़ी झाड़ियां उग आई हैं और इसकी दीवारें बारिश के कटाव के चलते गिर गई हैं, जिससे आने वाले समय में तालाब का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म हो जाएगा यह केवल अनसुना इतिहास बनकर रह जाएगा, आने वाली पीढ़ियां शायद ही जान पाएंगी कि काजीपुर के जुनेदपुर में कभी कोई पक्का तालाब हुआ करता था ।
हाल ही में पूरामुफ्ती थाना समाप्त होने के बाद इस क्षेत्र में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन ने तालाब के ऊपर स्थित भूमि में नवीन थाना स्थापित करने के लिए भूमि को आवंटित करा दिया है शायद कुछ दिनों में थाना बनने का कार्य शुरू हो जाएगा, वहीं उसके पीछे स्थित यह तालाब उजिहनी आईमा गांव में आता है जो जनपद प्रयागराज के बॉर्डर पर स्थित है, जिससे इसके जीर्णोद्धार के बारे में कोई भी जिम्मेदार सामने नहीं आ रहा है ।
अभी जनपद कौशाम्बी और प्रयागराज में ऐसे कई छोटे बड़े पुराने तालाब और इमारतें स्थित है जिनका सुध लेने के लिए ना ही पुरातत्व विभाग कोई कदम उठाता है ना ही जिला प्रशासन, ऐसे में स्थिति ऐसी बनती जा रही है कि ऐसी पुरानी इमारतें समय की मार झेलते झेलते नष्ट होती जा रही हैं, समय रहते अगर इनका रखरखाव और देखरेख किया जाता तो शायद यह अपनी यथास्थिति पर हमेशा बनी रहतीं, एक तरफ सरकार ग्राम पंचायतों में स्थित तालाबों की देखरेख के लिए करोड़ों का बजट खर्च कर रही है वहीं दूसरी तरफ जिम्मेदार ऐसी पुरानी ऐतिहासिक धरोहरों को नष्ट कराने पर उतारू हैं, ऐसे पुराने तालाब और इमारतों के बारे में ना ही वह कोई जानकारी हासिल करना चाहते हैं ना ही लोगों को इनके बारे में बताना चाहते हैं, इन्हीं सब कारणों की वजह से ऐसी इमारतें और पुराने तालाब नष्ट होते जा रहे है ।
गौरतलब है कि ऐसी ऐतिहासिक इमारतों और ऐतिहासिक धरोहरों की जनपद कौशाम्बी, प्रयागराज में भरमार है फिर भी कहीं ना कहीं जिम्मेदारों द्वारा की जा रही अनदेखी के चलते इतिहास के पन्नों में दर्ज इन इमारतों और पुराने तालाबों की देखरेख नहीं होने से इनका अस्तित्व खतरे में है, देखरेख के अभाव में ऐसी सभी इमारते और तालाब नष्ट होते जा रहे है, कुछ ऐसी छोटी-छोटी इमारतें और पक्के तालाब जनपद के बॉर्डर और कस्बों में स्थित हैं जिनकी अभी तक प्रशासन और पुरातत्व विभाग को कोई जानकारी ही नहीं है, सच्चाई तो ये है कि जिम्मेदार और उनके बारे में कोई खोज खबर भी नहीं करना चाहते हैं, धीरे धीरे ऐसी ऐतिहासिक इमारते काल के गाल में समाती जा रही है, स्थानीय लोगों का कहना है सरकार को इन पुरानी इमारतों और तालाबों के विषय में सख्त कदम उठाना चाहिए और ऐसी धरोहरों को बचाए रखना चाहिए ।
टीबी न्यूज़ टीम के पत्रकारों ने जब काजीपुर और आसपास के गांवो के लोगों से बातचीत की तो उन्होंने कुछ इस तरह से तालाब के बारे में जानकारियां दी हैं ।
काजीपुर गांव के रहने वाले 90 वर्षीय बुजुर्ग कल्लू पटेल का कहना है कि बचपन में वो इस तालाब में नहाने जाया करते थे और अंग्रेज भी ब्रिटिश हुकूमत कालीन उनके समय में इस तालाब पर आया करते थे, स्थानीय जमीदारों के कुछ चौकीदार तालाब की देखरेख भी किया करते थे वहीं स्थित एक मंदिर में पूजा-पाठ भी हुआ करता था ।
काजीपुर गांव के ही लायक सिंह का कहना है कि बचपन में हम लोग अपने यार दोस्तों के साथ तालाब में नहाने जाया करते थे साफ पानी रहता था, लेकिन तालाब के निर्माण के बारे में हम लोग कुछ भी नहीं जानते हैं हमारे पिता को भी नहीं मालूम था कि इस तालाब को किसने बनवाया था सालों पहले कुछ लोग उस पर अवैध कब्जा कर रहे थे जिसे प्रशासन ने खाली करवाया था ।
गांव के ही रामराज पटेल का भी कहना है कि तालाब में बराबर स्वच्छ पानी रहा करता था, लोग पानी पीते थे, नहाते थे, वहां पर स्थित एक मंदिर है जिसमें एक पुजारी था वह बराबर मंदिर की पूजा करता था अब तो मंदिर से मूर्ति गायब है ।
काजीपुर ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान जयप्रकाश उर्फ बछवा का कहना है कि वह बचपन से तालाब के बारे में कहानियां सुनते चले आए हैं उनके गांव के बूढ़े बुजुर्ग हमेशा तालाब के बारे में उनको बताते रहे हैं लेकिन कब इस तालाब का निर्माण कराया गया था किस ने इसका निर्माण कराया था इसकी सटीक जानकारी उन्हें भी नहीं है उन्होंने कई बार इसके जीर्णोद्धार का प्रयास किया लेकिन कौशाम्बी और प्रयागराज का बॉर्डर होने की वजह से तालाब की मरम्मत नहीं हो पाई, तालाब के चारों तरफ ग्राम पंचायत की बेशकीमती भूमि स्थित है जिसमें कुआं और तालाब में पानी जाने की पक्की नालियों के टूटे-फूटे अवशेष भी मौजूद है ।
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