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जानिए कार्तिक अमावस्या व्रत का महत्व, इस दिन दीप जलाने और तुलसी की पूजा से मिलता है लाभ...

रिपोर्ट-न्यूज़ एजेंसी

लखनऊ : हिन्दू धर्म के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली का पर्व मनाया जाता है दीपावली मनाने के साथ साथ इस दिन पितरों का तर्पण और दान-पुण्य के कार्यों का भी बहुत महत्व है पौराणिक मान्यता के अनुसार महाभारत के शांति पर्व में भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं कार्तिक अमावस्या के दिन का महत्व बताते हुए कहा है कि यह मेरा प्रिय दिन है और इस दिन मेरी वंदना से मनुष्य के समस्त ग्रह दोष दूर हो जायेंगे, महाभारत के शांति पर्व में स्वयं भगवान श्री कृष्ण द्वारा कार्तिक अमावस्या के बारे में कहे गये वचनों से इसकी महत्वत्ता और भी बढ़ जाती है, इस दिन प्रातःकाल जागकर नदी, जलाश्य या पवित्र कुंड में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के पश्चात बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें, ग्रह संबंधित दोष और नवग्रहों की शांति के लिए प्रातःकाल नवग्रह स्त्रोत का पाठ करें, इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम के जाप की विशेष महिमा है इसके प्रभाव से कुंडली में कितना भी खराब योग हो, वह दूर हो जाता है, कार्तिक अमावस्या को किसी देवालय या गरीब व्यक्ति के घर जाकर दीपक जलाने से शनि ग्रह से संबंधित पीड़ा दूर होती है कार्तिक अमावस्या के दिन शिवलिंग का शहद से अभिषेक करना चाहिए, कार्तिक अमावस्या पर दिवाली की रात दीये जलाने की परंपरा है मान्यता है कि इस दिन भगवान श्री राम वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे और इसी खुशी में अयोध्या वासियों ने घर घर दीपक जलाकर खुशियां मनाई थीं, हालांकि दिवाली के दिन दीये जलाने को लेकर एक और मान्यता है कहा जाता है कि पितृ पक्ष में जब पितृगण धरती पर आते हैं तो उन्हें पुनः पितृ लोक पहुंचने में परेशानी न हो, इसलिये दीयों से प्रकाश किया जाता है हालांकि इस प्रथा का प्रचलन विशेष रूप से बंगाल में है ।

एक बार कार्तिक महीने  की अमावस्या के दिन देवी लक्ष्मी जी पृथ्वी पर विचरण कर रही थी, पर अंधेरा ज्यादा होने की वजह से दिशा सही से पता नहीं चल पाती है। देवी लक्ष्मी जी अपने रास्ते से भटक जाते हैं देवी लक्ष्मी जी को आगे रास्ते में चलते हुए एक स्थान पर कुछ दीपक की रोशनी दिखाई देती है, देवी उस रोशनी के पास जाती है जब देवी लक्ष्मी जी वहां पहुंचती है तो, वहां एक झोपड़ी होती है वहां एक बूढ़ी औरत ने अपने घर के बाहर दीपक जलाए होती है और उसके घर का दरवाजा खुला हुआ था वह औरत अपने घर के बाहर आंगन में बैठकर काम कर रही होती है, देवी लक्ष्मी जी उस बूढ़ी औरत से वहां रुकने के लिए जगह मांगती हैं वह बूढ़ी औरत देवी लक्ष्मी जी के आराम करने के लिए स्थान देती है वह उनके बिस्तर की व्यवस्था भी कर देती है देवी लक्ष्मी जी वहां आराम करने के लिए रुक जाती हैं।देवी लक्ष्मी जी उस बूढ़ी औरत के स्वभाव और सेवा से बहुत प्रसन्न  होती हैं फिर वह बूढ़ी औरत अपना काम करते हुए वहीं सो जाती है अगले दिन जब वह बूढ़ी औरत जाती है, तो देखती है कि उसकी साधारण की झोपड़ी एक महल के समान सुंदर भवन में बदल जाता है उसके घर में धन की कोई कमी नहीं रहती है, माता लक्ष्मी जी उस बूढ़ी औरत के घर से कब चली गई थी इस बात का बूढ़ी महिला को पता नहीं चल पाता है फिर लक्ष्मी माता जी इस बूढ़ी महिला को दर्शन देती है माता लक्ष्मी जी कहने लगी कि जो कार्तिक अमावस्या के दिन अंधकार के समय दीपक जलाता है और रोशनी के मार्ग को उज्जवल करता है उसे मेरा आशीर्वाद प्राप्त होता है, उसके बाद से हर कार्तिक अमावस्या को रात में प्रकाश का उत्सव मनाया जाता है उस दिन से कार्तिक अमावस्या के दिन देवी लक्ष्मी जी की पूजा की परंपरा चली आती है इस दिन लक्ष्मी माता जी के आगमन के लिए पूजा पाठ किया जाता है इस दिन घरों के दरवाजे खोल कर रखे जाते हैं कार्तिक अमावस्या के दिन  दीपक जलाना फलदायक होता है ।

कार्तिक अमावस्या के दिन तुलसी की पूजा की जाती है तुलसी पूजा करने से भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है कार्तिक अमावस्या के दिन सनान करने के बाद तुलसी और सूरज काजल दिया जाता है तुलसी माता की पूजा अर्चना की जाती है कार्तिक अमावस्या के दिन तुलसी के पौधे का दान किया जाता है, तुलसी पूजा करने से घर के रोग दुख दूर होते हैं कार्तिक अमावस्या के दिन तुलसी पूजा करने से अर्थ, धर्म, कर्म तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है, कार्तिक अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है इस दिन स्नान करने का विशेष महत्व बताया जाता है कार्तिक अमावस्या  के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना संभव नहीं है, तो घर पर ही गंगाजल से स्नान कर सकते हैं कार्तिक अमावस्या के दिन स्नान करते हुए भगवान विष्णु जी का ध्यान  किया जाता है कार्तिक अमावस्या में ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदियों में स्नान करने से धरती के जितने तीर्थ स्थान हैं, उसका पुण्य प्राप्त होता है कार्तिक अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति भी होती है ।

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