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जानिए क्यों मनाई जाती है दिवाली, इस सुंदर दीपों से सजाये जाते हैं घर, मिलती है मां लक्ष्मी की कृपा...

रिपोर्ट-न्यूज़ एजेंसी

लखनऊ :  दिवाली का त्योहार हर साल कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाता है इस दिन लोग मांं लक्ष्मी, कुबेर भगवान और भगवान गणेश की विशेष पूजा अर्चना करते हैं दिवाली को कालरात्रि भी कहा जाता है जो तंत्र साधना और उपाय सिद्ध करने के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है, दिवाली या दीपावली रोशनी का पर्व है। यह त्योहार हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान श्रीराम 14 साल के बाद वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे एक अन्य मान्यता है कि दिवाली के दिन ही मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं, इस कारण इस दिन लक्ष्मी पूजन किया जाता है जबकि वाल्मीकि रामायण में वर्णित है कि इस दिन भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी का विवाह हुआ था दिवाली की शाम को उत्तम मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश और भगवान कुबेर की पूजा का विशेष महत्व है, दिवाली के दिन सुबह जल्दी स्नान कर लें और एक बार पूजा स्थल को साथ कर लें साथ ही पूजा स्थल पर रखी चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं, फिर माता लक्ष्मी, भगवान गणेश सहित सभी देवी- देवताओं को चौकी पर स्थापित करें साथ ही सर्वप्रथम भगवान गणेश और कलश का पूजन करें, कलश में ब्रह्रा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं को निवास माना जाता है साथ ही कलश में गंगाजल, साफ पानी, पंच पल्लव, सप्तधान्य डाले और कलश के ऊपर की ओर रक्षा सूत्र बांधे, फिर उसके ऊपर नारियल स्थापित कर दें, मां लक्ष्मी दिवाली पर उन घरों में प्रवेश करती हैं जहां साफ-सफाई हो और प्रतिदिन पूजा पाठ होता है ।

दिवाली पूजन में शंख, कमल का फूल, गोमती चक्र, धनिया के दाने, कच्चा सिंघाड़ा, मोती व कमलगट्टे का माला आदि शामिल करना चाहिए, ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥ ॐ श्रीं श्रीयै नम: ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥ दिवाली के दिन सुबह जल्दी स्नान कर लें और एक बार पूजा स्थल को साथ कर लें, साथ ही पूजा स्थल पर रखी चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं फिर माता लक्ष्मी भगवान गणेश सहित सभी देवी देवताओं को चौकी पर स्थापित करें साथ ही सर्वप्रथम भगवान गणेश और कलश का पूजन करें, कलश में ब्रह्रा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं को निवास माना जाता है साथ ही कलश में गंगाजल, साफ पानी, पंच पल्लव, सप्तधान्य डालें और कलश के ऊपर की ओर रक्षा सूत्र बांधें फिर उसके ऊपर नारियल स्थापित कर दें फिर पूजा शुरू करें ।

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