ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह
कौशाम्बी : जनपद में कृषि विज्ञान केंद्र कौशाम्बी के पशुपालन एवं प्रबंधन विशेषज्ञ डॉक्टर आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि दूध उत्पादन घटने की समस्या से जूझ रहे पशुपालकों के लिए अजोला (जलीय फर्न) वरदान साबित हो सकता है। मौसम में बदलाव और आर्द्रता बढ़ने से मवेशियों की खुराक और दूध देने की क्षमता पर असर पड़ता है, लेकिन नियमित रूप से हरे चारे के साथ अजोला खिलाने से यह समस्या दूर हो सकती है। डॉक्टर श्रीवास्तव ने कहा कि पशुओं को 250 से 500 ग्राम अजोला प्रतिदिन, हरे चारे के साथ खिलाने पर दूध की उत्पादकता प्राकृतिक रूप से बढ़ती है। साथ ही विटामिन की अतिरिक्त खुराक और नमक-गुड़ के पानी का सेवन भी लाभकारी है। उन्होंने बताया कि अजोला विटामिन B, प्रोटीन और खनिज लवण से भरपूर होता है। 100 ग्राम अजोला में 25 से 30 प्रतिशत तक प्रोटीन पाया जाता है, जो गाय, भैंस, बकरी, मुर्गी और मछली सहित सभी पशु-पक्षियों के लिए उपयोगी है। अजोला दूध की मात्रा, फैट और एसएनएफ (सॉलिड नॉट फैट) को बढ़ाता है, जिससे पशुपालकों की आमदनी में सीधा लाभ मिलता है।
इसके साथ ही लूसर्न और बरसीम जैसे हरे चारे भी प्रोटीन से भरपूर (15–20%) होते हैं और दूध उत्पादन में सहायक हैं। वहीं जई और ज्वार की चरी को सर्वोत्तम चारा माना जाता है, जो पशुओं को ऊर्जा और पर्याप्त पोषण देता है। विशेषज्ञों ने पशुपालकों से अपील की है कि वे अजोला की खेती और उपयोग के बारे में जानकारी प्राप्त कर अधिक से अधिक इसका प्रयोग करें, ताकि दूध उत्पादन और पशुओं की सेहत में सुधार हो सके। अजोला की खेती और पशु पोषण से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए किसान कृषि विज्ञान केंद्र कौशाम्बी से संपर्क कर सकते हैं।
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