रिपोर्ट-न्यूज़ एजेंसी
लखनऊ : हिंदू धर्म में सभी एकादशी का विशेष महत्व है इनमें से एक इंदिरा एकादशी भी है इंदिरा एकादशी का व्रत पितृपक्ष में पड़ने वाली एकादशी के दिन रखा जाता है, हिंदू धर्म में इंदिरा एकादशी के व्रत का अहम महत्व है हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल इंदिरा एकादशी का व्रत 21 सितंबर 2022 दिन बुधवार को रखा जाएगा, इंदिरा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है इसे 'एकादशी श्राद्ध' भी कहा जाता है एकादशी व्रत का मुख्य उद्देश पितरों को मोक्ष देना है, ताकि उनकी आत्मा को शांति मिल सके, इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती हैं इस व्रत के दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करनी चाहिए व व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए, एकादशी के दिन किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन का सेवन करने से बचें, इंदिरा एकादशी के दिन भोग विलास से दूर रहना चाहिए, एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए ध्यान रहें कि इस दिन घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए और ना ही बाल, दाढ़ी, नाखुन काटने जैसे कार्य नहीं करने चाहिए, एकादशी के दिन जितना संभव हो मौन का धारण करना चाहिए इस दिन झूठ बोलना, निंदा करना, चोरी करना, गुस्सा करना जैसे काम भी नहीं करने चाहिए, इंदिरा एकादशी के व्रत के एक दिन पहले दशमी शुरू हो जाती है दशमी के दिन मृत पूर्वजों के लिए अनुष्ठान किया जाता है और प्रार्थना की जाती है इंदिरा एकादशी के दिन गरीबों को भोजन कराना शुभ माना जाता है और गाय को रोटी खिलाना भी अच्छा माना जाता है इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा व भक्ति करके व्यक्ति भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करता है ।
पौराणिक कथाओं के अनुसार सतयुग में महिष्मति नाम का एक नगर था जिसका राजा इंद्रसेन था इंद्रसेन एक बहुत ही प्रतापी राजा था, राजा अपनी प्रजा का पालन पोषण अपनी संतान के समान करता था राजा के राज में किसी को भी किसी चीज की कमी नहीं थी राजा भगवान विष्णु का परम उपासक था एक दिन अचानक नारद मुनि का राजा इंद्रसेन की सभा में आगमन हुआ, नारद मुनि राजा के पिता का संदेश लेकर पहुंचे थे राजा के पिता ने कहा था कि पूर्व जन्म में किसी भूल के कारण वह यमलोक में ही हैं यमलोक से मु्क्ति से के लिए उनके पुत्र को इंदिरा एकादशी का व्रत करना होगा ताकि उन्हें मोक्ष मिल सके, पिता का संदेश सुनकर राजा इंद्रसेन ने नारद जी से इंदिरा एकादशी व्रत के बारे में बताने को कहा, तब नारद जी ने कहा कि यह एकादशी आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ती है एकादशी तिथि से पूर्व दशमी को विधि-विधान से पितरों का श्राद्ध करने के बाद एकादशी को व्रत का संकल्प करें, नारद जी ने आगे बताया कि द्वादशी के दिन स्नान आदि के बाद भगवान की पूजा करें और ब्राह्मणों को भोजन कराएं इसके बाद व्रत खोलें, नारद जी ने कहा कि इस तरह से व्रत रखने से तुम्हारे पिता को मोक्ष की प्राप्ति होगी और उन्हें श्रीहरि के चरणों में जगह मिलेगी, राजा इंद्रसेन ने नारद जी के बताए अनुसार इंदिरा एकादशी का व्रत किया जिसके पुण्य से उनके पिता को मोक्ष की प्राप्ति हुई और वे बैकुंठ चले गए, इंदिरा एकादशी के पुण्य प्रभाव से राजा इंद्रसेन को भी मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति हुई ।
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