ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह
कौशाम्बी : जनपद में धान फसल में सीधी बुआई विधि से खेती करने हेतु कृषको के क्षमता वर्धन के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन कृषि विज्ञान केन्द्र परिसर में दिनांक 15 अक्टूबर 2025 को किया गया जिसमे केन्द्र वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ अजय कुमार ने अवगत कराया कि अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के सहयोग से कृषि विज्ञान केंद्र एवम कृषको के प्रक्षेत्र पर धान की विभिन्न प्रजातियों के परिक्षण एवम प्रदर्शन लगाया गया था। जिसमे धान की फसल को सीधी बुआई विधि यानी मशीन द्वारा लगाने से धान लगाने का खर्च कम लगता है और उत्पादन में भी वृद्धि होती है। तकनीक सत्र में अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के वैज्ञानिक डॉ सर्वेश शुक्ल ने धान की सीधी बुआई में किसानों के द्वारा अपनाई गयी तकनीक में सही समय, बीज की प्रजाति, खरपतवार प्रबंधन (पहले व बाद में) संतुलित उर्वरक के बारे में विस्तार पूर्वक बताया। जिसे कृषकों ने अपनाते हुएकम लागत में अच्छा उत्पादन प्राप्त किया।
कृषि विज्ञान केंद्र कौशाम्बी के क्रॉप कैफेटेरिया में थान की 20 प्रजातियों को एक जगह लगाया गया है जिसका मुख्य उद्देश्य यह पता करना है कि कौशाम्बी जनपद के जलवायु में कौन सी प्रजाति अच्छी रहेगी। इस दौरान विभिन्न ग्रामो से 75 महिला एवं पुरुष ने प्रतिभाग किया। और सभी किसानों ने क्रॉप कैफेटेरिया के प्रक्षेत्र को देखते हुए थान की सीधी बुआई तकनीक द्वारा धान की एराइज-6129 गोल्ड, सबौर विजय, सीओ-51, साबौर नरेन्द्र, एडीटी-59, सी आर धान-24 एवं एमटीयू-1010 प्रजातियों का तुलनात्मक आवलोकन कृषको द्वारा किया गया।
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