रिपोर्ट-इरसाद हुसैन
महोबा : जनपद में अंबेडकर पाठशाला शिक्षा सेवा फाउंडेशन में वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई जयंती हर्षोल्लास से मनाई गई। अंबेडकर पाठशाला शिक्षा सेवा फाउंडेशन के तत्वाधान में संचालित नि:शुल्क अम्बेडकर पाठशाला, खंदिया (चरखारी) में वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई जयंती बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाई गई। कार्यक्रम में छात्राओं द्वारा भाषण एवं कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें प्रथम स्थान खुशबू, द्वितीय स्थान इच्छा तथा तृतीय स्थान रोशनी ने प्राप्त किया। विजेताओं को सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में समाजसेवी केतन गुप्ता, फाउंडेशन निदेशक इन्द्र कुमार कुशवाहा एवं सोहित राम तिवारी उपस्थित रहे। मुख्य अतिथि केतन गुप्ता ने कहा कि रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को हुआ था। वे 1857 की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की महान वीरांगना थीं। उनका वास्तविक नाम मणिकर्णिका था, जिन्हें प्रेम से मनु कहा जाता था। फाउंडेशन निदेशक इन्द्र कुमार कुशवाहा ने बताया कि बचपन से ही रानी लक्ष्मीबाई घुड़सवारी, शस्त्र-विद्या एवं युद्ध कौशल में दक्ष थीं। मणिकर्णिका का विवाह 1842 में झाँसी के राजा गंगाधर राव से हुआ था।
वहीं सोहित राम तिवारी ने प्रसिद्ध पंक्तियों बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी का उल्लेख करते हुए रानी लक्ष्मीबाई के शौर्यगाथा का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि 1857 के संग्राम में रानी ने अंग्रेजों के खिलाफ अनेक युद्ध लड़े। 17 जून 1858 को ग्वालियर के कोटे की सराय में रानी वीरगति को प्राप्त हुईं। कार्यक्रम में मनीष, नैतिक, कार्तिक, रागिनी, मनस्वी सहित अनेक छात्र-छात्राओं ने भाषण एवं कविता प्रतियोगिता में बढ़-चढ़कर भाग लिया। कार्यक्रम के सफल आयोजन से विद्यालय परिसर में उत्सव जैसा माहौल रहा तथा रानी लक्ष्मीबाई की वीरता से बच्चों को नई प्रेरणा मिली।
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