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कटरी गांव के समीप करोड़ों रुपए की अवैध बालू रखी है डम्प, राजस्व और खनन विभाग के मिलीभगत से हो रहा है खेल ...

रिपोर्ट-नरेन्द्र कुमार द्विवेदी


कौशाम्बी : जनपद में अवैध रूप से चल रहे डम्प बालू के कारोबार पर प्रशासन की नजर अभी तक नहीं गई।क्ष, जबकि यमुना के तराई स्थित कटरी गांव में करोड़ों रुपए की अवैध बालू बिना किसी परमिशन के डम्प कर किया गया है, यही नहीं पड़ोसी गांव डढावल में भी बालू भारी मात्रा में डम्प है जिसकी कीमत भी करोड़ों में बताई जा रही है, नियमानुसार डम्प के पूर्व इसका परमिशन खनन विभाग से लिया जाता है और तय मानक में इससे राज्य सरकार को राजस्व भी जाता है इन डम्प के देख रेख के लिए स्थानीय स्तर पर लेखपाल भी जिम्मेदार होता है लेकिन प्रशासन के इन पहरूओं की आंखें अभी तक नहीं गई जो लोगों के मन में इन रखवालों की कर्तव्यनिष्ठा पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहा है कि आखिर अभी तक अवैध रूप से खड़े बालू के पहाड़ों पर प्रशासन के जिम्मेदारों की नजर क्यों नहीं जा रही है।


स्थानीय लोगों का कहना है कि आसपास के बालू कारोबार से जुड़े लोगों द्वारा अवैध रूप से इन गांवों में बालू का पहाड़ खड़ा कर दिया गया है जिन पर अभी तक जिम्मेदारों द्वारा कोई परमिशन नहीं लिया गया, यदि कहीं परमिशन है तो वह महज कुछ सैकड़ा घन मीटर का ही है जबकि यहां पर करोड़ों रुपए की यमुना बालू डम्प की गई है इन अवैध कारोबारियों द्वारा ट्रकों में ओवरलोड बालू बेचा जा रहा है जिससे राज्य सरकार को भारी राजस्व क्षति हो रही है, यही नहीं इससे सरकार के द्वारा करोड़ों रुपए खर्च करके बनाई गई सड़कें भी ध्वस्त हो रही हैं स्थानीय लोगों का मानना है कि इस पूरे खेल में खनन विभाग व स्थानीय स्तर पर लगे राजस्व विभाग के कर्मचारी व अधिकारी पूरी तरह से शामिल है यदि ऐसा नहीं होता तो अब तक इन अवैध रूप से खड़े यमुना बालू के पहाड़ों पर जांच कर कार्यवाही कर दी गई होती, जिला प्रशासन की इन बालू के पहाड़ों पर नजर नहीं जाने से यह अवैध कारोबारी करोड़ों रुपए कमा रहे है लेकिन इससे राज्य सरकार को भारी राजस्व की हानि भी हो रही है लोगों का मानना है यदि मामले में जिलाधिकारी कुछ स्थानीय टीम गठित कर इसकी जांच कराएं तो कई जिम्मेदारों का इस मामले में नपना तय है ।

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1 Comments


  1. प्रणाम संपादक महोदय @TB News


    मेरा नाम विश्व प्रताप गर्ग है और मेरे सहकर्मी देवेन्द्र परमार भगवान शिव के महायोगी स्वरुप भगवान "गुरू गोरखनाथ" के अनुयायी हैं।

    आपके उपर्युक्त लिंक में खनन माफिया और प्रशासन की मिलीभगत और चल रहे भ्रष्टाचार को सबके सामने उजागर किया जो निस्संदेह साहसी और निर्भीक है। यही वास्तव में सजग पत्रकारिता है जो लोगों को सचेत कर रही है और प्रशासन को निरूत्तर। बहरहाल अगर आप ऐसा लिखें

    कटरी गांव के समीप खनन विभाग की मिलीभगत से चल रहा "बालू खनन का अवैध धंधा " उचित वाक्य है।" गोरख-धंधा "शब्द अनुचित है।

    भगवान शिव महायोगी स्वरूप में भगवान “गुरू गोरखनाथ” होते हैं।भगवान गुरू “गोरख” जैसे पवित्र कल्याणकारी नाम को किसी घटिया धंधे से जोड़ने से लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती है और शिव तो सदैव कल्याण ही करते हैं कोई धंधा नहीं। गोरख-धंधा शब्द अनुचित है और एक निम्न श्रेणी की उपहासात्मक अवमाननापूर्ण गरिमाहीन संज्ञा है जो प्रयोग में नहीं होनी चाहिए।

    विनती है अगर आप इस शब्द को ठीक कर लें और आगे से इस अवांछित शब्द के स्थान पर किसी बेहतर संज्ञा जैसे अवैध धंधा/ ठगधंधा / कालाबाजारी भ्रष्टाचार /भंवरजाल /मकड़जाल /घपला / गोलमाल / घोटाला / तिलिस्मी जाल/गडबडझाला /गडबडघोटाला/धांधली इत्यादि जैसे शब्दों का प्रयोग करें और एक विज्ञप्ति जारी कर रिपोर्टिंग टीम को इस पहलू की ओर भविष्य में भी प्रयोग करने से बचें तो आपकी ज्वलंत पत्रकारिता उम्दा ही प्रतीत होगी। और पाठकगण एक जुडाव भी महसूस करेंगे।

    अलख निरंजन!!



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