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जाने फाल्गुन अमावस्या की विशेषताएं, फाल्गुन अमावस्या पर पवित्र नदियों में देवी-देवताओं का होता है निवास...

रिपोर्ट-न्यूज़ एजेंसी


लखनऊ : फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को फाल्गुन अमावस्या कहते हैं यह अमावस्या सुख, संपत्ति और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए विशेष फलदायी होती है फाल्गुन अमावस्या 2 मार्च 2022, बुधवार को पड़ रही है इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान का विशेष महत्व बताया गया है, जीवन में सुख-शांति के लिए रखा जाने वाला फाल्गुन अमावस्या का व्रत इस बार विशेष माना जा रहा है फाल्गुन अमावस्या पर शिव और सिद्ध योग का खास संयोग बन रहा है इन दोनों खास योगों में किए गए व्रत और पूजा का जातकों को दोगुना फल प्राप्त होगा, इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध भी किया जाता है इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और दान देने की भी परंपरा है, धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन अमावस्या पर पवित्र नदियों में देवी-देवताओं का निवास होता है। इसलिए इस दिन गंगा, यमुना और सरस्वती में स्नान का विशेष महत्व माना गया है यदि फाल्गुन अमावस्या सोमवार के दिन हो तो इस दिन महाकुम्भ स्नान का योग भी बनता है, जो अनंत फलदायी माना जाता है अमावस्या के दिन भगवान शिव शंकर और भगवान श्री कृष्ण की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने का विधान है, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का प्रारंभ 2 मार्च को भोर से पहले रात 1 बजकर 3 मिनट से हो रहा है इस समय महाशिवरात्रि का समापन होगा, फाल्गुन अमावस्या तिथि का समापन 2 मार्च को रात 11 बजकर 4 मिनट पर होगा, उदयातिथि के आधार पर फाल्गुन अमावस्या 2 मार्च को हऐ, इस साल 2022 में फाल्गुन अमावस्या पर दो शुभ योग बन रहे हैं, फाल्गुन अमावस्या के दिन शिव योग सुबह 8 बजकर 21 मिनट तक है उसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा, जो 3 मार्च को सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक रहेगा, इस दिन नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें और सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पितरों का तर्पण करें, पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करें और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें, अमावस्या के दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक लगाएं और अपने पितरों का स्मरण करें, पीपल की सात परिक्रमा लगाएं, रुद्र, अग्नि और ब्राह्मणों का पूजन करके उन्हें उड़द, दही और पूरी आदि का नैवेद्य अर्पण करें और स्वयं भी उन्हीं पदार्थों का एक बार सेवन करें, शिव मंदिर में जाकर गाय के कच्चे दूध, दही, शहद से शिवजी का अभिषेक करें और उन्हें काले तिल अर्पित करें, अमावस्या शनिदेव का दिन भी माना जाता है इसलिए इस दिन उनकी पूजा करना जरूरी है अमावस्या के लिए शनि मंदिर में नीले पुष्ण अर्पित करें, काले तिल, काली साबुत उड़द दाल, कड़वा तेल, काजल और काला कपड़ा अर्पित करें ।

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