ब्यूरो रिपोर्ट-सुरेश सिंह
मुम्बई : हिंदी सिनेमा के सदाबहार सुपरस्टार देव आनंद की पुण्यतिथि है। 03 दिसंबर 2011 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा था। आज उनके जाने को 14 साल हो चुके हैं, लेकिन उनकी मुस्कान, उनकी ऊर्जा और उनका जादू आज भी उतना ही ताज़ा है। देव साहब सिर्फ अभिनेता नहीं, बल्कि भारतीय सिनेमा का चलती-फिरती रोमांस, स्टाइल और पॉज़िटिविटी का प्रतीक थे। देव आनंद के व्यक्तित्व और उनकी करिश्माई शख्सियत को लेकर कई रोचक किस्से आज भी लोगों के ज़ेहन में ताज़ा हैं। इन्हीं में से एक दिलचस्प किस्सा अभिनेता ऋषि कपूर ने अपनी आत्मकथा “खुल्लम खुल्ला: ऋषि कपूर अनसेंसर्ड” में साझा किया था।
जब कपूर बंधु पहुंचे थे देव साहब के पास…
साल 1999 में राज कपूर के छोटे बेटे राजीव कपूर (चिंपू) की शादी थी। मां कृष्णा राज कपूर के कहने पर रणधीर कपूर और ऋषि कपूर शादी का निमंत्रण देने पहले दिलीप कुमार के घर गए। दिलीप साहब ने दो घंटे तक उन्हें दिलचस्प बातें सुनाईं और प्यार-मोहब्बत से मेहमाननवाज़ी की। इसके बाद दोनों भाई सीधे देव आनंद के घर पहुंचे। ऋषि कपूर लिखते हैं कि जहाँ दिलीप साहब का घर तहज़ीब और शाइस्तगी में डूबा था, वहीं देव साहब का कमरा हॉलीवुड और अंग्रेज़ी किताबों के माहौल में सराबोर था पूरी तरह अमेरिकी अंदाज़ वाला।
देव साहब की एनर्जी का जादू...
ऋषि कपूर बताते हैं कि कुछ ही देर में देव आनंद कमरे में आए — पीली पैंट, ऑरेंज शर्ट, हरा स्वेटर और गले में मफलर। उनका प्रवेश ही जैसे बिजली सा था। देव साहब ने कपूर बंधुओं का स्वागत अपने अंदाज़ में किया, हाय बॉयज़ यू गायज़ आर लुकिंग डैम गुड। जैसे ही उन्हें शादी का कार्ड देने की वजह समझ आई, वो तुरंत अपने अंदाज़ में बोले गर्लफ्रेंड बनाओ, शादी करो… लाइफ एंजॉय करो! तुम लोगों की कोई गर्लफ्रेंड है कि नहीं। ऋषि कपूर लिखते हैं कि देव साहब की यह ऊर्जा, उनका उत्साह और उनका बेपरवाह अंदाज़ किसी को भी अपने साथ बहा ले जाता था। दिलीप साहब की सादगी और देव साहब की चमकदार ऊर्जा में फर्क देखकर वे दोनों हैरान रह गए।
अब भी ज़िंदा है देव साहब की चमक...
देव आनंद का जीवन, उनका सिनेमा, उनका उत्साह और उनका प्रेम करने का अंदाज़ आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है। गाइड, हरे रामा हरे कृष्णा, ज्वेल थीफ़, हम दोनों जैसी अनगिनत फिल्मों में उनके अभिनय और निर्देशन ने हिंदी सिनेमा को नई दिशा दी। उनकी पुण्यतिथि पर पूरी फिल्म इंडस्ट्री, उनके चाहने वाले और प्रशंसक उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। देव साहब भले आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी मुस्कान, उनकी स्टाइल और उनका ‘नेवर-से-डाय’ एटीट्यूड हमेशा अमर रहेगा।
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